कोरोना से ठीक हुए लोगों को वैक्सीन की जरूरत नहीं है ! हेल्थ एक्सपर्ट ने पीएम से की ये सिफारिशें

कोरोना की दूसरी लहर के बीच देश में वैक्सीनेशन में तेजी से हो रहा है। लेकिन अब हेल्थ एक्सपर्ट्स के एक समूह ने पीएम मोदी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि वह देश के सभी वयस्कों के लिए कोरोना टीकाकरण खोले जाने की समीक्षा करे।
 

नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट) कोरोना की दूसरी लहर के बीच देश में वैक्सीनेशन में तेजी से हो रहा है। लेकिन अब हेल्थ एक्सपर्ट्स के एक समूह ने पीएम मोदी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि वह देश के सभी वयस्कों के लिए कोरोना टीकाकरण खोले जाने की समीक्षा करे।

एक्सपर्ट्स ने कहा है कि जो लोग कोरोना से उबर चुके हैं, उन्हें वैक्सीन देने की जरूरत नहीं है। बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन के बजाय जोखिम वाले समूहों को टीका लगाया जाए। उन्होंने चेताया है कि बड़े पैमाने पर, अंधाधुंध और अपूर्ण टीकाकरण कोरोना वायरस के म्यूटेंट के उभार की वजह बन सकता है।इस समूह में AIIMS के डॉक्टर, कोविड-19 संबंधी राष्ट्रीय कार्यबल के सदस्य भी शामिल हैं।

समूह ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है कि बड़े पैमाने पर लोगों के टीकाकरण की जगह केवल उन लोगों का टीकाकरण किया जाना चाहिए जो संवेदनशील और जोखिम श्रेणी में शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन जगहों पर डेल्टा वैरिएंट की वजह से तेजी से संक्रमण बढ़ रहे हैं वहां कोविशील्ड की दोनों डोज के बीच के अंतर को कम कर देना चाहिए। बता दें कि अभी कोविशील्ड की दोनों डोज के बीच कम से कम 12 हफ्ते का गैप रखा गया है।

इंडियन पब्लिक हेल्थ असोसिएशन, इंडियन असोसिएशन ऑफ एपिडमोलॉजिस्ट्स और इंडियन असोसिएशन ऑफ प्रीवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन के विशेषज्ञों ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘देश में महामारी की मौजूदा स्थिति मांग करती है कि इस चरण में सभी आयु समूहों के लिए टीकाकरण को खोलने की जगह हमें महामारी संबंधी आंकड़ों से खुद को निर्देशित करना चाहिए।’

आपको बता दें कि ये रिपोर्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपी गई है। रिपोर्ट में इस बात पर जोर देकर कहा गया है कि कम उम्र के वयस्कों और बच्चों का टीकाकरण साक्ष्य समर्थित नहीं है और यह किफायती नहीं होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि अनियोजित टीकाकरण से वायरस के म्यूटेंट वेरिएंट्स को बढ़ावा मिल सकता है। इसमें कहा गया है कि जो लोग कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं, उनके टीकाकरण की अभी कोई आवश्यकता नहीं है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी वयस्कों को टीका लगाने का कोई मतलब नहीं बन रहा है खासकर तब जब देश महामारी के बीच है और वैक्सीन की उपलब्धता सीमित है। ऐसी स्थिति में फोकस मौतों को कम करने पर होना चाहिए जो उम्रदराज समूह, को-मॉर्बिडिटीज और ओबेसिटी वाले लोगों में ज्यादा है। एक्सपर्ट्स ने कहा है कि टीकाकरण के मौजूदा चरण में उद्देश्य जोखिम वाले समूहों को कवर करना होना चाहिए न कि बड़े पैमाने पर पूरे जनसमूह को टीका लगाना।