लौट आया है 'विकास दुबे कानपुर वाला' ! गांव में पसरा सन्नाटा
कानपुर (उत्तराखंड पोस्ट) कानपुर के गांव बिकरू हत्याकांड को आज भी कोई नही भूला है। ढाई महीने पहले इसी जगह एनकाउंटर में 8 पुलिसवाले मारे गए थे, बाद में विकास दुबे की भी एनकाउंटर में मौत हुई थी। इस घटना का मुख्य आरोपी ‘विकास दुबे कानपुर वाला’ मरने के बाद फिर से वापस आ गया है। बिकरू गांव में जैसे ही सूरज डूबता है, लोग जल्दी-जल्दी अपने घर लौट लगते हैं और घरों के दरवाजे बंद कर लेते हैं।
कहा जा रहा है कि है कि विकास दुबे का भूत यहां घूम रहा है। यही वजह है कि शाम ढलते ही इस गांव में सन्नाटा पसर जाता है, लोग अपने घरों से बाहर निकलने में कतराते हैं। कुछ लोगों ने तो दावा किया है कि उन्होंने विकास दुबे के भूत को वहां मंडराते देखा भी है। बिकरू के रहने वालों का कहना है कि अब भी उन्हें रात में गोलियों की आवाजें सुनाई देती हैं।
गांव वालों के मुताबिक बिकरू में आज भी गोलियों की आवाज सुनाई देती है। सब जानते हैं पर बोलता कोई नहीं। कुछ लोगों ने विकास भइया के भूत को देखा भी है। गांव वाले कहते हें कि उन्हें अकसर विकास दुबे अपने घर के खंडहर पर बैठा दिखाई देता है।
एक बुजुर्ग ने बताया कि कुछ दिनों पहले जब वह रात में लघुशंका के लिए उठे तो उन्होंने देखा कि विकास दुबे वहां बैठा मुस्कुरा रहा है। बुजुर्ग ने बताया, 'ऐसा लग रहा था कि जैसे वह हम लोगों को कुछ बताना चाह रहा था। वह अपनी मौत का बदला लेगा जरूर।' खंडहर हो चुके विकास दुबे के मकान के पास रहने वाले एक परिवार का दावा है कि उन्हें भी कई आवाजें सुनाई दी हैं। एक महिला ने कहा, 'कई बार हमें सुनाई देता है जैसे कुछ लोग आपस में बात कर रहे हैं, लेकिन वह बातचीत साफ नहीं सुनाई देती। बीच-बीच में हंसने की आवाजें भी सुनाई देती हैं, ठीक वेसी ही हंसी जैसी जब विकास जिंदा था तो यहां सुनाई देती थी।'
हालांकि, विकास के टूटे मकान पर चार पुलिसवालों- दो पुरुष, दो महिलाओ की ड्यूटी लगी है। लेकिन ऑन रिकॉर्ड इनमें से किसी ने नहीं कहा कि उन्हें गोलियों की आवाजें सुनाई दीं या विकास के भूत को 'देखा' है। उनमें से एक कहता है, 'हमें यहां अपनी ड्यूटी करने में कोई समस्या नहीं है।' इससे ज्यादा वह कुछ भी कहने से मना कर देता है।
गांव में ही रहने वाले एक पुजारी का कहना है कि इन बातों को झूठा नहीं कहा जा सकता। वह समझाते हैं, 'अगर किसी की अप्राकृतिक मौत होती है तो ऐसी बातें होती हैं। विकास दुबे के मामले में न तो उसका अंतिम संस्कार ठीक से हुआ और न ही उसके बाद के क्रियाकर्म। एनकाउंटर में मारे गए उसके साथियों के साथ भी ऐसा ही हुआ।' ग्रामीणों ने एक स्थानीय पुजारी से 'परेशान भटकती आत्माओं' की तृप्ति के लिए 'पितृ पक्ष' की अवधि में विशेष पूजा कराने के लिए कहा, लेकिन पुजारी ने यह कहते हुए मना कर दिया कि वह पुलिस के रडार पर नहीं आना चाहते. एक ग्रामीण ने कहा, "हम नवरात्रि के दौरान पूजा कराने की कोशिश करेंगे, ताकि हत्याकांड और उसके बाद के मुठभेड़ में मारे गए सभी लोगों, पुलिसकर्मियों की आत्मा को शांति मिल सके."