पढ़ें- नए जिलों के गठन पर क्यों कांग्रेस सरकार के साथ आई BJP ?
उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव से पहले नए जिलों के गठन में भी राजनीतिक दल अपना सियासी नफा-नुकसान देख रहे हैं। शायद यही वजह है कि राज्य सरकार के हर फैसले पर उसे कोसने का कोई मौका नहीं छोड़ने वाली विपक्षी पार्टी भाजपा ने नए जिलों के गठन को लेकर कांग्रेस सरकार का साथ देने की बात कही है। गौरतलब है कि प्रदेश में नए जिलों के गठन की मांग स्थानीय जनता लंबे समय से कर रही है और इसकोलेकर सियासत पहले भी होती रही है। ऐसे में राजनीतिक दल नए जिलों का गठन होने पर इसका श्रेय लेकर आगामी विधानसभा चुनाव में इसको भुनाने की पूरी कोशिश करेंगे।
नए जिलों पर सरकार के साथ | हल्द्वानी में मीडिया से बात करते हुए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट ने कहा कि प्रदेश में नए जिलों के गठन पर कहा कि उन्होंने राज्य सरकार से कहा कि है कि नए जिलों के गठन को लेकर पक्ष-विपक्ष को साथ बैठकर फैसला लेना चाहिए। उन्होंने कहा है कि भाजपा शासनकाल में बनाए गए 4 जिलों की घोषणा के आलावा अन्य नए जिलों के गठन में भाजपा राज्य सरकार के साथ है। चाहे तो सरकार हमसे लिखित एनओसी ले ले।
बीजेपी ने की थी घोषणा | वर्ष 2011 में भाजपा सरकार के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने वर्ष 2011 में स्वतंत्रता दिवस पर चार नए जिले बनाने की घोषणा की। इनमें से दो गढ़वाल मंडल में कोटद्वार व यमुनोत्री तथा दो कुमाऊं मंडल में रानीखेत व डीडीहाट शामिल थे। इस घोषणा के कुछ ही दिनों बाद निशंक को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोडऩी पड़ी और भुवन चंद्र खंडूड़ी ने दोबारा सत्ता संभाली। फिर चंद महीनों बाद वर्ष 2012 में विधानसभा चुनाव हुए तो सत्ता परिवर्तन के कारण नए जिलों के निर्माण की घोषणा ठंडे बस्ते में डाल दी गई। हां, तब इतना जरूर हुआ कि कांग्रेस सरकार ने अध्यक्ष राजस्व परिषद की अध्यक्षता में नई प्रशासनिक इकाइयों के गठन संबंधी आयोग बना मामला उसके हवाले कर दिया।