पढ़ें- क्यों इस स्वतंत्रता सेनानी ने लिया सम्मान लौटाने का फैसला ?

असहिष्णुता को लेकर सम्मान लौटाने का चलन बीते दिनों खूब देखा गया। उत्तराखंड मे भी अब एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ने अपने सम्मान लौटाने का फैसला किया है। लेकिन ये फैसला देश में किसी वर्ग विशेष के खिलाफ असहिष्णुता के चलते नहीं बल्कि सरकारी उपेक्षा या कहें सरकारी असहिष्णुता के चलते लिया गया है। मामला
 

असहिष्णुता को लेकर सम्मान लौटाने का चलन बीते दिनों खूब देखा गया। उत्तराखंड मे भी अब एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ने अपने सम्मान लौटाने का फैसला किया है। लेकिन ये फैसला देश में किसी वर्ग विशेष के खिलाफ असहिष्णुता के चलते नहीं बल्कि सरकारी उपेक्षा या कहें सरकारी असहिष्णुता के चलते लिया गया है।

मामला बागेश्वर जिले के लेसानी गांव का है। तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने 22 अक्टूबर 2013 को बागिश्वर के लेसानी गांव में दो किलोमीटर लंबी एक सड़क बनाने का ऐलान किया था, तीन साल बीतने को हैं लेकिन मुखयमंत्री की एक छोटी सी घोषणा अब तक पूरी नहीं हो पाई है।

इससे खिन्न होकर गांव के ही निवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रामदत्त जोशी ने सरकार से अब तक उन्हें सम्मान स्वरूप मिले सभी प्रशस्ति पत्र और शॉल आगामी 15 अगस्त को सरकार को लौटाने का फैसला लिया है। रामदत्त जोशी ने मुख्यमंत्री हरीश रावत को पत्र लिखकर अपनी पीड़ा बयां की है और सम्मान लौटाने की बात की है।

मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और लेसानी गांव के निवासी राम दत्त जोशी ने सभी सरकारों  पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की उपेक्षा का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि 22 अक्तूबर 2013 को तत्कालीन सीएम ने बनलेख से लेसानी गांव तक दो किमी सड़क बनाने की घोषणा की। 2015 में शासन ने स्वतंत्रता सेनानियों के गांव को मुख्य सड़क मार्ग से लिंक करने के आदेश निर्गत किए। उनके गांव का भी शासनादेश जारी किया गया, लेकिन अभी तक सड़क नहीं बन सकी है।

उन्होंने कहा कि उनके गांव में सीसी मार्ग और पानी तक की व्यवस्था नहीं है। खंड विकास अधिकारी ने इस पर जांच की और मनरेगा के तहत कार्य योजना रखने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अब वे निराश तथा हताश महसूस कर रहे हैं। यदि 15 अगस्त तक सड़क का निर्माण कार्य प्रगति पर नहीं आया तो वे शासन से प्रदत्त सभी सम्मान पत्र वापस कर देंगे।