जोशीमठ को लेकर हुए 2 बड़े खुलासे, NTPC की टनल को लेकर मिली बड़ी जानकारी 

जोशीमठ को लेकर दो बड़े खुलासे हुए हैं। पहला तो यह कि जोशीमठ में रिस रहा पानी और एनटीपीसी परियोजना की टनल का पानी अलग-अलग है। यह खुलासा राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआईएच) रुड़की की प्राथमिक जांच रिपोर्ट के आधार पर यह जानकारी सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा ने दी। लेकिन, दूसरा खुलासा यह बताता है कि प्रोजेक्ट बनाने से पहले एनटीपीसी ने पूरे जोशीमठ का जियोलॉजिकल सर्वे नहीं कराया था, जिसको लेकर एक नया विवाद खड़ा होने की बात भी सामने आ रही है।
 

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जोशीमठ (उत्तराखंड पोस्ट) जोशीमठ को लेकर दो बड़े खुलासे हुए हैं। पहला तो यह कि जोशीमठ में रिस रहा पानी और एनटीपीसी परियोजना की टनल का पानी अलग-अलग है। यह खुलासा राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआईएच) रुड़की की प्राथमिक जांच रिपोर्ट के आधार पर यह जानकारी सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा ने दी। लेकिन, दूसरा खुलासा यह बताता है कि प्रोजेक्ट बनाने से पहले एनटीपीसी ने पूरे जोशीमठ का जियोलॉजिकल सर्वे नहीं कराया था, जिसको लेकर एक नया विवाद खड़ा होने की बात भी सामने आ रही है।

बता दें, राष्टीय जल विज्ञान संस्थान की जिस रिपोर्ट को मंगलवार तक शासन आधी अधूरी और कन्प्यूज करने वाली रिपोर्ट बता रहा था। वहीं बुधवार को सीएस के साथ हुई मीटिंग के बाद बताया गया कि टनल से निकल रहे पानी और जोशीमठ में निकल रहे पानी के सैंपल आपस में मैच नहीं हुए। हालांकि, प्रेस ब्रीफिंग कर रहे आपदा प्रबंधन सचिव ने स्पष्ट किया कि ये प्राइमरी रिपोर्ट है, इससे किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता।

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यह पूछने पर कि क्या पानी में तेल या सीमेंट भी मिला है, डॉ. सिन्हा ने कहा कि इसमें ऐसा कुछ नहीं है। बता दें कि जोशीमठ में दरारों के साथ पानी का अत्यधिक रिसाव होने पर स्थानीय लोगों ने इसके लिए एनटीपीसी की टनल को भी जिम्मेदार ठहराया था। इसके बाद एनआईएच की टीम ने जोशीमठ में जाकर टनल वाले स्थान और जेपी कालोनी के पास से पानी के सैंपल लिए थे। बता दें कि एनआईएच की जांच रिपोर्ट पर सबकी निगाहें लगी थीं। माना जा रहा था कि जांच रिपोर्ट से इस बात का खुलासा हो जाएगा कि पानी टनल से आ रहा है या इसका कोई और स्रोत है। लेकिन प्राथमिक जांच में अब भी रहस्य बरकरार है।

आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने खुलासा करते हुये जानकारी दी कि एनटीपीसी ने प्रोजेक्ट बनाने से पहले इस पूरे अतिसंवेदनशील क्षेत्र की कोई भू-गर्भीय जांच नहीं की थी। उन्होंने बताया कि एनटीपीसी ने केवल जहां-जहां से टनल गुजर रही है उसके दोनों ओर ढाई-ढाई सौ मीटर एरिया की स्टडी की थी। आपदा प्रबंधन सचिव की इस स्वीकार्यता से नया विवाद खड़ा हो गया है। भू-गर्भीय दृष्टि से बेहद संवेदनशील जोशीमठ क्षेत्र में इतना बडा़ प्रोजेक्ट धरातल पर उतारने से पहले क्या एनटीपीसी ने इस क्षेत्र का भू-गर्भीय अध्ययन नहीं कराया था। आपदा प्रबंधन सचिव तो यहां तक बोल गए कि यदि कराया होता, तो अब कराने की जरूरत नहीं पड़ती।

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