आज जोशीमठ में भूधंसाव का करेंगे निरीक्षण करेंगे धामी, प्रभावितों से भी मिलेंगे 

जोशीमठ में हो रहे भूधसाव से हालात चिंताजनक है। बदरीनाथ हाईवे भी भू-धंसाव की जद में आ चुका है। राजमार्ग पर आईं बड़ी-बड़ी दरारें चिंता का कारण बन गई हैं। यदि दरारें नहीं थमीं तो हाईवे का एक बड़ा हिस्सा कभी भी जमींदोज हो सकता है। ऐसे हालात में भारतीय सेना चीन की सीमा से कट सकती है।
 

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जोशीमठ (उत्तराखंड पोस्ट) जोशीमठ में हो रहे भूधसाव से हालात चिंताजनक है। बदरीनाथ हाईवे भी भू-धंसाव की जद में आ चुका है। राजमार्ग पर आईं बड़ी-बड़ी दरारें चिंता का कारण बन गई हैं। यदि दरारें नहीं थमीं तो हाईवे का एक बड़ा हिस्सा कभी भी जमींदोज हो सकता है। ऐसे हालात में भारतीय सेना चीन की सीमा से कट सकती है।

शनिवार दोपहर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जोशीमठ पहुंचकर भूधंसाव का निरीक्षण करेंगे। मुख्यमंत्री प्रभावित परिवारों से मुलाकात के अलावा अधिकारियों के साथ जोशीमठ में बैठक भी करेंगे। इससे पहले शुक्रवार को CM धामी ने सचिवालय में जोशीमठ शहर के भू धसाव से प्रभावित संकटग्रस्त परिवारों के पुनर्वास की वैकल्पिक व्यवस्था एवं भूधंसाव के कारणों आदि के संबंध में उच्चाधिकारियों के साथ समीक्षा की। इस दौरान सीएम धामी ने भुधंसाव से प्रभावित संकटग्रस्त परिवारों के पुनर्वास की वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश अधिकारियों को दिये हैं।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आपदा से बेघर हुए परिवारों के लिए किराये के मकान में रहने के लिए 4 हजार रुपये महीने प्रति परिवार देने के निर्देश दिए हैं। इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए गए हैं। आदेश के अनुसार आपदा से प्रभावित ऐसे परिवारों जिनके मकान क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण अध्यासन योग्य नहीं रहते है अथवा ऐसे परिवार जो बेघर हो जाते हैं उन परिवारो के लिए किराये के मकान में रहने हेतु धनराशि 4000 रू० /- प्रति परिवार की दर से सहायता राशि छः माह तक मा० मुख्यमंत्री राहत कोष से प्रदान की जायेगी।

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वहीं जोशीमठ में भूं-धंसाव के खतरे के बीच चमोली जिला प्रशासन ने जोशीमठ में भू-धंसाव से प्रभावित भवन, होटल एवं अन्य संरचनाओं का मूल्यांकन एवं तकनीकी जांच के लिए विस्तृत सर्वे करने हेतु अधिकारियों व कार्मिकों की 9 टीमें गठित की है, जो प्रत्येक वार्ड में घर-घर जाकर सर्वे कर रही है।

जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव से संकटग्रस्त परिवारों को बचाने और राहत देने का काम युद्ध स्तर पर शुरू कर दिया गया है। आठ सदस्यीय विशेषज्ञ दल आपदा प्रबंधन सचिव के नेतृत्व में दो दिन से जोशीमठ में है। सरकार ने जोशीमठ में तत्काल डेंजर जोन को खाली करने और सुरक्षित स्थान पर पुनर्वास केंद्र बनाने की तैयारी कर ली है। जोशीमठ में आपदा कंट्रोल रूम स्थापित करने के साथ ही आवश्यकता होने पर प्रभावितों के लिए एयर लिफ्ट सुविधा की तैयारी रखी गई है।

जोशीमठ शहर पुराने भूस्खलन क्षेत्र में बसा है। ऐसे में इसकी धारण क्षमता की पड़ताल कराने के साथ ही इसके आधार पर ही वहां नियोजित ढंग से निर्माण की अनुमति दी जानी चाहिए। जोशीमठ में भूधंसाव की समस्या को लेकर पिछले वर्ष सरकार द्वारा गठित विज्ञानियों की समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह सुझाव दिया था।

सूत्रों के अनुसार विज्ञानियों की समिति ने रिपोर्ट में यह उल्लेख भी किया कि जोशीमठ में भूधंसाव और घरों में दरारें पडऩे का क्रम तेज हुआ है। इसे देखते हुए पूरे शहर को अन्यत्र विस्थापित करने के बाद ही वहां उपचारात्मक कदम उठाए जाएं।

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