उत्तराखंड में सीवेज योजनाओं के निर्माण कार्यों पर एनजीटी ने लगाई रोक

उत्तराखंड के धीमी गति से चल रहे सीवरेज योजना के निर्माण कार्यों को एनजीटी की रोक से करारा झटका लगा है। गंगा में प्रदूषण फैलाने के संबंध में दाखिल याचिका पर नेशलन ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सीवरेज योजना में गंदे पानी की ट्रीटमेंट के लिए ठोस व्यवस्था नहीं होने के चलते हरिद्वार, गंगोत्री, गोपेश्वर के अलावा
 

उत्तराखंड के धीमी गति से चल रहे सीवरेज योजना के निर्माण कार्यों को एनजीटी की रोक से करारा झटका लगा है। गंगा में प्रदूषण फैलाने के संबंध में दाखिल याचिका पर नेशलन ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सीवरेज योजना में गंदे पानी की ट्रीटमेंट के लिए ठोस व्यवस्था नहीं होने के चलते हरिद्वार, गंगोत्री, गोपेश्वर के अलावा प्रदेश के अन्य हिस्सों में इस पर रोक लगा दी है। सीवर कार्यों पर रोक में गंगोत्री और गोपेश्वर को बाहर रखा गया है। यहां हुए 96 प्रतिशत सीवर कार्यों को जल्द पूरा करने के लिए कहा गया है। साथ ही हरिद्वार के जगजीतपुर में बन रहे 40 मिलियन लीटर पर डे (एमएलडी) के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) को भी पूर्ण करने के लिए छह माह का समय दिया गया है।

एनजीटी की ओर से इन कार्यों पर रोक लगाने का मुख्य कारण था कि पहले सीवरेज ट्रीटमेंट की व्यवस्था पूरी की जाए, तभी सीवर नेटवर्क डाले जाने का कार्य करें। हालांकि, दून में कारगी में 68 एमएलडी का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तैयार है। इसके अलावा शहर में कई जगहों पर छोटे-छोटे प्लांट बनाए जा रहे हैं।

एनजीटी के 145 पेज के आदेश में पैरा 98 बी में सीवरेज नेटवर्क कार्यों को तत्काल बंद करने के आदेश दिए गए हैं। इस तरह सरकार की ओर से एनजीटी के समक्ष उचित पैरवी नहीं करने के कारण राज्य में चल रहे सीवर कार्यों पर विराम लग चुका है, वहीं भविष्य में स्वीकृत होने वाली योजनाओं पर ग्रहण लग गया है।