हरीश रावत: आधुनिक तकनीक के उपयोग से शिक्षा व्यवस्था को मिलेगा नया आयाम

उत्तराखंड में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। यहां के दुर्गम क्षेत्रों में भी प्रतिभाएं अपना प्रकाश फैला रही हैं। शिक्षा के क्षेत्र में अध्यापक व ई-लर्निंग का समावेश करना होगा। तकनीक का उपयोग जरूरी है, फिर भी इसमें मानवीय अहसास भी होना चाहिए। बुधवार को सीएम आवास में शिक्षा विभाग के विभिन्न कार्यक्रमों का शुभारम्भ
 

उत्तराखंड में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। यहां के दुर्गम क्षेत्रों में भी प्रतिभाएं अपना प्रकाश फैला रही हैं। शिक्षा के क्षेत्र में अध्यापक व ई-लर्निंग का समावेश करना होगा। तकनीक का उपयोग जरूरी है, फिर भी इसमें मानवीय अहसास भी होना चाहिए। बुधवार को सीएम आवास में शिक्षा विभाग के विभिन्न कार्यक्रमों का शुभारम्भ करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने ये बात कही। इनमें भू-स्थानिक तकनीक के उपयोग से उत्तराखण्ड राज्य में स्कूल मानचित्रीकरण सूचना तंत्र, उत्तराखण्ड एजुकेशन पोर्टल, विज्ञान व गणित की रोचक गतिविधियां, बच्चों में पढ़ने की आदतों के विकास के लिए गतिविधयां प्रमुख हैं।

मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि यू-सैक के सहयोग से तैयार स्कूल मैपिंग से बहुत सी जानकारियां ऑनलाइन मिल सकेंगी, साथ ही आधुनिक तकनीक के उपयोग से हमारी शिक्षा व्यवस्था को नया आयाम मिलेगा। मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि आज भी शिक्षा व्यवस्था में अध्यापकों का कोई विकल्प नहीं है। अध्यापक समाज के निर्माता होते हैं। हमें अपनी शिक्षा व्यवस्था में सुधार करने के अनेक प्रयास किए हैं। आज हर स्कूल में अध्यापक हैं। सरकार प्रयास कर रही है कि 31 मार्च तक सभी कक्षाओं के अध्यापकों की उपस्थिति सुनिश्चित की जाए। मुख्यमंत्री रावत ने स्वच्छ विद्यालय अभियान के तहत विभिन्न बच्चों व विद्यालयों को पुरस्कार वितरण भी किया।

सचिव विद्यालयी शिक्षा डी सेंथिल पांडियन ने बताया कि सर्व शिक्षा अभियान के तहत यूसैक के सहयोग से भूस्थानिक तकनीक का उपयोग जीओस्पेशियल डाटा बेस तैयार कर उत्तराखण्ड स्कूल मानचित्रण सूचना तंत्र (यूएमआईएस) साफ्टवेयर विकसित किया गया है। इसमें समस्त विद्यालयों की अवस्थिति को जीपीएस के द्वारा लिया गया है। साथ ही विद्यालयों में उपलब्ध बुनियादी सुविधाओं को फोटोग्राफ के माध्यम से संकलित किया गया है। इसी प्रकार एनआईसी के सहयोग से उत्तराखण्ड एजुकेशनल पोर्टल विकसित किया गया है। जिसमें शिक्षा विभाग की गतिविधियों को ऑनलाईन किया जाना है। प्रथम चरण में सभी विद्यालयों का मानकों के आधार पर कोटिकरण, शिक्षा विभाग के सभी कर्मचारियों का सेवा संबंधी विवरण, सभी राजकीय विद्यालयों के छात्रों का प्रोफाइल, विद्यालयों को ऑनलाईन अनुश्रवण किया जा रहा है।

स्वजल परियोजना के निदेशक डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि स्वच्छ विद्यालय अभियान के तहत बच्चों में स्वच्छता संबंधी आदतों के विकास व जागरूकता के लिए क्विज, चित्रकला, निबंध, स्लोगन, भाषण प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। साथ ही जनपद एवं राज्य स्तर पर स्वच्छता के लिए उत्कृष्ट विद्यालयों को पुरस्कृत किया गया है।