कोरोनिल से विरोधियों को मिर्ची लगी, हम पर आतंकियों-देशद्रोहियों की तरह FIR करा दी: रामदेव
हरिद्वार (उत्तराखंड पोस्ट) बाबा रामदेव ने बुधवार को कोरोनिल विवाद पर विरोधियों की जमकर खबर ली। बाबा रामदेव ने यहां तक कह दिया कि कोरोनिल के आने से विरोधियों को मिर्ची लगी और हमारे खिलाफ आतंकियों-देशद्रोहियों की तरह एफआईआर दर्ज करा दी गईं।
आपको बता दें कि बाबा रामदेव ने 23 जून को कोरोनिल का ऐलान किया था। दावा किया गया था इससे कोरोना मरीज एक हफ्ते के अंदर रिकवर हो सकते हैं।
बाबा रामदेव के इस दावे पर विवाद हो गया। यहां तक कि केंद्र सरकार और कुछ राज्य सरकारों ने भी बाबा रामदेव के दावों को गलत बताया। इसके बाद पतंजलि ने कहा कि यह कोरोना की दवा नहीं, बल्कि इम्यूनिटी बूस्टर है।
बुधवार को हरिद्वार में प्रेस कॉन्फ्रेंस मे बाबा रामदेव ने कहा कि उन्होंने क्लीनिकल ट्रायल से लेकर रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के नियमों को पालन किया है।
बाबा रामदेव ने कहा लोग कह रहे हैं कि पतंजली ने पलटी मारी, कोई अनुसंधान नहीं किया और कुछ लोगों ने तो मेरी जाति, धर्म, संन्यास को लेकर और अलग-अलग प्रकार से गंदा वातावरण बनाने की कोशिश की। ऐसे लगता है कि हिंदुस्तान के अंदर आयुर्वेद का काम करना गुनाह हो। हमने योग-आयुर्वेद से यश बढ़ाया, कुछ लोगों को मिर्ची लगती है। आपको आपत्ति है तो बाबा रामदेव को खूब गाली दो, हम गाली प्रूफ हो चुके हैं।
बाबा रामदेव ने कहा कि देशभर में हमारे खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी गईं, जैसे किसी देशद्रोही और आतंकवादी के खिलाफ एफआईआर दर्ज होती हैं।
विरोधियों के मंसूबों पर पानी फिर गया है जब आयुष मंत्रालय ने कहा कि पतंजलि ने कोविड मैनेजमेंट के लिए पर्याप्त काम किया है।
बाबा रामदेव ने आयुष मंत्रालय के बयान का हवाला देते हुए कहा कि कोरोना से तड़पती मानवता के लिए पतंजलि ने एक सही दिशा में जो काम करना शुरू किया है। मैं नहीं कहता कि प्रशंसा मत कीजिए, लेकिन तिरस्कार तो मत कीजिए।
बाबा रामदेव ने कहा कि पतंजलि ने कोरोनिल पर कंट्रोल डबल ब्लाइंड क्लीनिकल ट्रायल किया है, उसमें तीन दिन में 69 फीसदी और 7 दिन में 100 फीसदी पेशेंट निगेटिव हो गए। उसका पूरा डाटा हमने आयुष मंत्रालय को दे दिया। सभी अप्रूवल हमने आयुष मंत्रालय को सब्मिट कर दिए गए हैं।
बाबा रामदेव ने कहा कि अभी हमने कोरोना के बारे में एक ट्रायल का डाटा सामने रखा तो तूफान आ गया, चूलें हिल गईं ड्रग माफियाओं, एमएमसी के माफियाओं और भारत विरोधी ताकतों की। लोग ये सोचने लगी कि रिसर्च का काम तो टाई वाले करते थे, लेकिन लंगोटी पहनने वाले कैसे करने लगे, तुमने का क्या ठेका ले रखा है।
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