हल्द्वानी अतिक्रमण | रेलवे की भूमि पर बसे 50 हजार लोगों पर संकट, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज 

हल्द्वानी रेलवे भूमि प्रकरण को लेकर उत्तराखंड में सियासत तेज हो गई है। वहीं रेलवे भूमि की जद में आ रहे बनभूलपुरा के लोग अपने आशियाने बचाने के लिए हरसंभव कोशिश में जुटे हुए हैं।
 

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हल्द्वानी (उत्तराखंड पोस्ट) हल्द्वानी रेलवे भूमि प्रकरण को लेकर उत्तराखंड में सियासत तेज हो गई है। वहीं रेलवे भूमि की जद में आ रहे बनभूलपुरा के लोग अपने आशियाने बचाने के लिए हरसंभव कोशिश में जुटे हुए हैं।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

हल्द्वानी में अतिक्रमण हटाने के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई होगी। नए साल पर जनवरी के बर्फीले मौसम में लोगों की अब सर्वोच्च न्यायलय से ही एक उम्मीद बची है। 

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर सबकी निगाहें टिकी हैं। सुप्रीम कोर्ट से रेलवे भूमि की जद में आ रहे बनभूलपुरा के लोगों को राहत मिलेगी या हाईकोर्ट का आदेश बरकरार रहेगा।

आपको बता  देंकि  उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने 20 दिसंबर को शहर के बनभूलपुरा क्षेत्र में 29 एकड़ रेलवे भूमि से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था और अतिक्रमणकारियों को इसे खाली करने के लिए एक सप्ताह का अग्रिम नोटिस दिया था।

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बनभूलपुरा के हजारों निवासियों ने अतिक्रमण हटाने का विरोध करते हुए कहा था कि इससे वे बेघर हो जाएंगे और उनके स्कूली बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा। इस कदम से बड़ी संख्या में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग प्रभावित होंगे। अब उच्चतम न्यायालय हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ जमीन से अतिक्रमण हटाने के उत्तराखंड उच्च न्यायालय की याचिका को चुनौती देने वाली याचिका पर बृहस्पतिवार को सुनवाई करेगा।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले में बड़ा बयान दिया है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा- हमें न्यायालय पर भरोसा रखना चाहिए, उसके बाद फैसला लेंगे, इस मामले में राजनीति नहीं होनी चाहिए।

वहीं पूर्व सीएम हरीश रावत मामले को लेकर उपवास पर बैठे।  रावत ने रेलवे भूमि के अतिक्रमण के मामले में कहा कि पुराने समय से रह रहे लोगों का पुनर्वास किया जाना जरूरी है। हरदा ने कहा कि सरकार योजनाबद्ध तरीके से इनका पुनर्वास कर सकती है। कहा कि हल्द्वानी में जो लोग 60 से 70 वर्षों से रह रहे हैं, उन घरों को तोड़ने का आदेश न्यायालय की ओर से हो गया है।

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नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि राज्य सरकार ने न्यायालय में अपना प्रकरण सही तरह से नहीं रखा है। कहा कि रेलवे जिसको अपनी जमीन बता रहा है, उस जगह पर कई सरकारी स्कूल, फ्री होल्ड जमीन और सरकारी संपत्ति हैं। इसलिए राज्य सरकार को चाहिए कि वह उच्चतम न्यायालय में अपना पक्ष रखे। आर्य ने कहा कि सरकार के मन में खोट है और वह किसी भी तरह से पीड़ितों को बेदखल करना चाहती है।