उत्तराखंड | कांग्रेस का चंपावत में धामी को हराने का दावा, कहा- उपचुनाव में नहीं है कोई चुनौती

उत्तराखंड के भाजपा विधायक कैलाश चंद्र गहतोड़ी ने गुरुवार को अपनी चंपावत विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया। दरअसल धामी खटीमा विधानसभा से चुनाव हार गए थे, इसके बाद भी बीजेपी ने धामी को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी। अब धामी सीएम बन गए हैं तो उन्हें विधानसभा का सदस्य होना जरुरी है, वो भी अगले 6 महीने के अंदर।
 
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देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) उत्तराखंड के भाजपा विधायक कैलाश चंद्र गहतोड़ी ने गुरुवार को अपनी चंपावत विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया। दरअसल धामी खटीमा विधानसभा से चुनाव हार गए थे, इसके बाद भी बीजेपी ने धामी को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी। अब धामी सीएम बन गए हैं तो उन्हें विधानसभा का सदस्य होना जरुरी है, वो भी अगले 6 महीने के अंदर।

ऐसे में धामी कहां से चुनाव ल़ड़ेंगे इसके कयास कई दिन से लगाए जा रहे थे और चंपावत विधायक कैलाश गहतोड़ी के इस्तीफे के साथ इस सवाल का जवाब तो सबको मिल ही गया है।

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वहीं विधानसभा चुनाव में हार का सामना करने वाली कांग्रेस ने चंपावत उपचुनाव में दमखम से उतरने की बात कही है। कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि उपचुनाव कांग्रेस के लिए कोई चुनौती नहीं है क्योंकि पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री रहते हुए खटीमा से कांग्रेस के हाथों ही चुनाव हार चुके हैं।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष माहरा ने कहा, धामी चूंकि अपने विधानसभा क्षेत्र खटीमा से हार गए इसलिए अब सीट बदलकर चंपावत से चुनाव लड़ने के मूड में हैं, लेकिन कांग्रेस दमखम के साथ उनका मुकाबला करने के लिए तैयार है।

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चंपावत में कितना था जीत का अंतर – आपको बता दें कि भाजपा के टिकट पर कैलाश गहतोड़ी चंपावत से इस बार दूसरी बार विधायक चुने गए। इस बार उन्होंने कांग्रेस के पूर्व विधायक हेमेश खर्कवाल को 5000 से ज़्यादा वोटों से हराया था।

वहीं चंपावत विधानसभा से इस्तीफा देने के बाद कैलाश गहतोड़ी ने कहा-  पिछली सरकार में अपने छह महीने के कार्यकाल में पुष्कर धामी ने जो ताबड़तोड़ विकास कार्य किए, इससे जनता का उनके प्रति लगाव बढ़ा। ये अलग बात है कि धामी खटीमा से चुनाव हार गए, लेकिन उत्तराखंड ने उनके नेतृत्व में विश्वास जताया। गहतोड़ी ने कहा कि चंपावत बॉर्डर एरिया है और विकास की दृष्टि से काफी पिछड़ा है। 80 किलोमीटर सीमा नेपाल से शेयर होती है। कई विधायक आए और गए, लेकिन विकास नहीं हो पाया। यह सीएम का चुनाव क्षेत्र बनेगा, तो क्षेत्र का तेजी के साथ विकास होगा।

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अब सवाल ये कि बदले में गहतोड़ी को क्या मिलेगा ? कैलाश गहतोड़ी से ये सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा- सीट छोड़ने के पीछे क्षेत्र के विकास के अलावा उनका कोई स्वार्थ नहीं है।

माना जा रहा है कि विधायकी कुर्बान करने के एवज़ में सरकार में उन्हें महत्वपूर्ण दायित्व दिया जा सकता है। चर्चा है कि उन्हें वन विकास निगम का अध्यक्ष बनाने के साथ ही कुछ और ज़िम्मेदारियों से नवाज़ा जा सकता है।

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