नैनीताल | नैनीझाल की बदलेगी तस्वीर, शुुरु हुआ बैथीमैट्री विश्लेषण, होंगे ये फायदे

नैनीताल (उत्तराखंड पोस्ट) जिलाधिकारी सविन बंसल की पहल पर स्थापना दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान रूड़की के वैज्ञानिकों द्वारा नैनीझील का बैथीमैट्री विशलेषण कार्य प्रारम्भ किया। बंसल ने कहा नैनी झील झील के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए बैथीमेट्री कार्य आवश्यक है। जिसके लिए विशेष प्रयास कर, राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान रूड़की के वैज्ञानिकों
 

नैनीताल (उत्तराखंड पोस्ट) जिलाधिकारी सविन बंसल की पहल पर स्थापना दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान रूड़की के वैज्ञानिकों द्वारा नैनीझील का बैथीमैट्री विशलेषण कार्य प्रारम्भ किया।

बंसल ने कहा नैनी झील झील के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए बैथीमेट्री कार्य आवश्यक है। जिसके लिए विशेष प्रयास कर, राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान रूड़की के वैज्ञानिकों के माध्यम से बैथीमैट्री विश्लेषण कार्य पहली बार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि नैनीझील जहां एक ओर पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है वही इस झील की सुंदरता व जैवविधिता के कारण यह विश्व प्रसिद्व पर्यटन स्थलों में शुमार है। उन्होने कहा नैनीझील एक अत्यन्त संवेदनशील जलाशय है तथा नैनीताल नगरवासियों की पेयजल आपूर्ति हेतु मुख्य स्रोत है। नैनीझील की जैवविविधता तथा इको सिस्टम का स्थाई बने रहना नगर के पर्यटन व्यवसाय, पेयजल आपूर्ति तथा बडी संख्या मे नगरवासियों के जीवनयापन हेतु अत्यन्त आवश्यक है। बैथीमैट्री के माध्यम से झील के ईकोलाॅजी सिस्टम को स्थिर बनाए रखने में सहायता मिलेगी।

जिलाधिकारी ने कहा विगत कई वर्षो मे नैनीझील के संरक्षण हेतु विभिन्न तकनीकी संस्थाओं द्वारा अलग-अलग प्रकार से शोध एवं तकनीकी सर्वे कार्य किये गये है, लेकिन बैथीमेट्री विश्लेषण पहली बार किया जा रहा है। श्री बंसल ने कहा नैनीझील की प्रकृति तथा पानी की सतह के नीचे पानी की आन्तरिक संरचनाओं मे हुए परिवर्तन, झील के दीर्घकालीन संरक्षण, झील की संग्रहरण क्षमता विकास तथा इको सिस्टम को बनाए रखने रूडकी के वैज्ञानिक द्वारा सघन बैथीमैट्री विशलेषण कराया जा रहा है। झील की प्रकृति पानी की सतह के नीचे की संरचनाओं, लैण्ड टोपोग्राफी, लेक फ्लोर एवं अन्य तकनीकी विषयों को ज्ञात करने के लिए बैथीमैट्री विशलेषण अति आवश्यक है। इसके लिए वरिष्ठ वैज्ञानिक जलविज्ञान संस्थान रूड़की के वरिष्ठ वैज्ञानिक वैभव गर्ग के नेतृत्व में साईंटिस्ट पंकज, ईन्जीनियर नमन, अभिषेक, ईशान की 5 सदस्यीय तकनीकी टीम कार्य कर रही हैं, जो आगामी 2 दिन झील का विशलेषण कार्य हेतु सोनार सिस्टम, जीपीएस लैस इको बोट के साथ मय सहवर्ती उपकरण के साथ कार्य करेगी है। बंसल ने कहा कि विश्लेषण रिपोर्ट के आधार झील के संरक्षण हेतु सभी आवश्यक कदम उठाए जायेंगे।

इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी विनीत कुमार, अपर जिलाधिकारी एसएस जंगपांगी, कैलाश सिंह टोलिया, उप जिलाधिकारी विनोद कुमार, प्रोफेसर रीना सिंह, जिला कार्यक्रम अधिकारी अनुलेखा बिष्ट, एआरटीओ विमल पाण्डे, ईओ एके वर्मा, जिला पर्यटन विकास अधिकारी अरविन्द गौड़ आदि उपस्थित थे।

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