सरकारी नौकरियों में एससी-एसटी आरक्षण कोर्ट का बड़ा फैसला, निरस्त किया शासनादेश

नैनीताल (उत्तराखंड पोस्ट) नैनीताल हाईकोर्ट ने बड़ा फैसले लेते हुए सरकारी नौकरियों में SC/ST के प्रमोशन में आरक्षण समाप्त करने के सरकार के आदेश को निरस्त कर दिया है। हालांकि कोर्ट ने छूट दी है कि सरकार चाहे तो कानून भी बना सकती है। दरअसल, रुद्रुपर निवासी याचिकाकर्ता ज्ञान चंद्र ने याचिका दायर करते हए
 

नैनीताल (उत्तराखंड पोस्ट) नैनीताल हाईकोर्ट ने बड़ा फैसले लेते हुए सरकारी नौकरियों में SC/ST के प्रमोशन में आरक्षण समाप्त करने के सरकार के आदेश को निरस्त कर दिया है। हालांकि कोर्ट ने छूट दी है कि सरकार चाहे तो कानून भी बना सकती है।

दरअसल, रुद्रुपर निवासी याचिकाकर्ता ज्ञान चंद्र ने याचिका दायर करते हए कहा था कि सरकार ने पांच सितंबर 2012 को शासनादेश जारी कर एससी/ एसटी की पदोन्नति में आरक्षण व्यवस्था समाप्त कर दी थी। इस पर सुनवाई करते हुए ने यह भी कहा है कि एससी एसटी के प्रमोशन में आरक्षण के लिए उत्तराखंड सरकार की ओर से या उत्तर प्रदेश सरकार से ग्रहण किए पूर्व में किए गए शासनादेश लागू रहेंगे।

कोर्ट ने कहा कि यदि सरकार चाहे तो संविधान के अनुच्छेद 16(4, अ) के अंतर्गत कानून बना सकती है। आपको बता दें कि संविधान का अनुच्छेद 16(4, अ) एससी/ एसटी के लिए आरक्षण के मामले में राज्य सरकार को फैसला करने का अधिकार देता है।

2011 में विनोद प्रकाश नौटियाल ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में आरक्षण को चुनौती दी तो कोर्ट के आदेश के आधार पर प्रदेश सरकार ने आरक्षण को खत्म करते हुए एससी एसटी वर्ग को पदोन्नति में आरक्षण का लाभ देने के लिए सरकार ने इस वर्ग के पिछड़ेपन से संबंधित आंकड़े जुटाना तय किया था।

इसके लिए इरशाद हुसैन कमेटी का गठन किया गया। हालांकि यह काम सरकार अभी तक नहीं कर पाई है। सर्वोच्च न्यायालय ने एससी/ एसटी के प्रमोशन में आरक्षण पर हाल ही में एम नागराज बनाम केंद्र सरकार के मामले में स्पष्ट कर दिया था कि एससी/ एसटी वर्ग  को आरक्षण देना जरूरी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि राज्य सरकारें चाहें तो इस पर फैसला ले सकती हैं।

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