उत्तराखंड | ऊर्जा निगमों के हजारों कर्मचारियों और पेंशनरों को हाईकोर्ट से बड़ा झटका ! नहीं मिलेगी ये सुविधा
नैनीताल (उत्तराखंड पोस्ट) हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद यूपीसीएल, यूजेवीएनएल और पिटकुल के उन हजारों कर्मचारियों और पेंशनरों को झटका लग सकता है, जिन्हें सस्ती दरों पर असीमित बिजली की खपत की सुविधा दी जा रही है।
दरअसल, हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यूपीसीएल ने शपथपत्र पेश कर कहा कि तीनों निगमों में दी जा रही बिजली को सीमित किया जा रहा है और अब सस्ती बिजली नहीं दी जाएगी।
राज्य के ऊर्जा निगमों के अधिकारी और कर्मचारियों को सस्ती बिजली देने और आम जनता के लिए बिजली की दरों को बढ़ाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर बृहस्पतिवार को कोर्ट में सुनवाई हुई।
इस जनहित याचिका पर कोर्ट ने सचिव ऊर्जा, पिटकुल और तीनों निगमों को आदेश दिए कि वे अफसर-कर्मी और पेंशनरों को दी जा रही बिजली का संपूर्ण ब्योरा 25 नवंबर तक पेश करें। याचिकाकर्ता के वकील बीपी नौटियाल के मुताबिक, यूपीसीएल ने कोर्ट में कहा है कि 18 नवंबर को निदेशक मंडल की बैठक में असीमित बिजली खपत की सुविधा को सीमित करने के संबंध में फैसला ले लिया जाएगा।
क्या है मामला ?
देहरादून के आरटीआई क्लब ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि सरकार ऊर्जा निगम में तैनात अधिकारियों से एक माह का बिल मात्र 65 से 425 रुपये ले रही है, जबकि इनका बिल लाखों में आता है और इसका बोझ सीधे जनता पर पड़ रहा है।
याचिकाकर्ता का कहना था कि तमाम अधिकारियों के घर बिजली के मीटर तक नहीं लगे हैं और जो लगे भी हैं, वह खराब स्थिति में हैं। कॉरपोरेशन ने वर्तमान कर्मचारियों के अलावा रिटायर और उनके आश्रितों को भी बिजली मुफ्त में दी है।
याचिका में कहा कि उत्तराखंड ऊर्जा प्रदेश घोषित है और यहां हिमाचल से महंगी बिजली है, जबकि वहां बिजली का उत्पादन तक नहीं होता है। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने पिटकुल और यूपीसीएल के कार्मिकों को दी जा रही बिजली का संपूर्ण डाटा 25 नवंबर को पेश करने के आदेश सचिव ऊर्जा, पिटकुल और यूजेवीएनएल के अधिकारियों को दिए हैं।
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