बनभूलपुरा अतिक्रमण मामले में SC के फैसले से लोगों में जगी उम्मीदें, जानें कोर्ट में क्या हुआ 

उत्तराखंड के नैनीताल जिला मुख्यालय हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर हुए अतिक्रमण मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को वहां रहे लोगों के पुनर्वास का इंतजाम करने को कहा। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को केंद्र और रेलवे के साथ बैठक करने के निर्देश दिए है।
 

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हल्द्वानी (उत्तराखंड पोस्ट) उत्तराखंड के नैनीताल जिला मुख्यालय हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर हुए अतिक्रमण मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को वहां रहे लोगों के पुनर्वास का इंतजाम करने को कहा। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को केंद्र और रेलवे के साथ बैठक करने के निर्देश दिए है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछले तीन चार दशकों के लोग वहां रह रहे हैं, इसीलिए अदालतें निर्दयी नहीं हो सकती है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अगुवाई वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि राज्य सरकार को यह योजना बनानी होगी कि इन लोगों का पुनर्वास कैसे और कहां किया जाएगा? क्योंकि ये लोग अपने परिवार के साथ दशकों से इस जमीन पर रह रहे हैं। कोर्ट लोगों को सार्वजनिक संपत्तियों पर अतिक्रमण करने की अनुमति नहीं दे सकतीं। इसीलिए कोर्ट को संतुलन बनाए रखने की जरूरत है और राज्य को भी कुछ करने की जरूरत है।

रेलवे का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि रेलवे के पास पुनर्वास के संबंध में कोई नीति नहीं है और दुर्भाग्य से रेलवे की जमीन के बड़े हिस्से पर अतिक्रमण किया गया है। यहां तक ​​कि सुरक्षा संचालन तक पर भी। वहीं, उत्तराखंड सरकार के वकील ने कहा कि विवादित क्षेत्र में केवल 13 लोगों के पास फ्री-होल्ड अधिकार हैं और वहां पर करीब चार हजार 365 परिवारों ने अतिक्रमण किया है, जहां 50,000 से अधिक लोग रह रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि सरकार उन लोगों को उखाड़ फेंकना चाहती है, जो बीते तीन चार दशक से वहां रहे है। साथ ही कोर्ट ने रेलवे और सरकार से पूछा कि उन्होंने इतने सालों ने ऐसा क्यों नहीं किया। यह एक या दो झोपड़ियों का सवाल नहीं है, ये सभी पक्के घर हैं।

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हल्द्वानी के बनभूलपुरा में रेलवे भूमि पर अतिक्रमण के मामले में सुप्रीम कोर्ट के लोगों के पुनर्वास की योजना बनाने संबंधी आदेश की सूचना मिलते ही वहां रह रहे लोगों की खुशी का ठिकाना न रहा। इस आदेश के बाद लोगों को उम्मीद है कि पक्के मकानों से हटाने से पहले सरकार उनका पुनर्वास करेगी। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिट दायर करने वालों से लेकर आम लोगों ने भी सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को जनहितकारी बताया है।

लोगों का कहना है कि रेलवे और प्रशासन ने तो उनकी सुनी नहीं। सुप्रीम कोर्ट से उन्हें न्याय की उम्मीद थी। बुधवार को कोर्ट ने उन्हें बड़ी राहत दी है। हम विकास विरोधी नहीं हैं लेकिन हम चाहते थे कि रेलवे पहले अपनी जमीन बताए। अपनी जमीन चिह्नित करें ताकि जो जमीन रेलवे की नहीं है उस पर काबिज लोगों की परेशानी कम हो। रेलवे अपने विस्तार का प्लान और जद में आ रहे लोगों के पुनर्वास की योजना बताए। सुप्रीम कोर्ट उस दिशा में जा रही है।

क्या है मामला: नैनीताल जिला मुख्यालय हल्द्वानी के वनभूलपुरा क्षेत्र में लोगों ने रेलवे की करीब 29 एकड़ भूमि पर कब्जा कर रखा है। इस इलाके में करीब चार हजार परिवार बसे हुए है, जिन्होंने पक्के घर बना रखे है। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने यहां बसे लोगों को हटाने के आदेश दिए थे। रेलवे ने भी अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी कर जमीन खाली करने के निर्देश दिए थे। साथ ही पक्के मकानों को तोड़ने के आदेश भी दिए गए थे। लेकिन कोर्ट के आदेश के खिलाफ कुछ लोगों ने प्रदर्शन किया और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जिस पर तभी से सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई चल रही है। आज 24 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अहम टिप्पणी की है और अतिक्रमणकारियों के पुनर्वास की व्यवस्था करने के निर्देश दिए है।

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