अच्छी ख़बर | उत्तराखंड में स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनेगी गढ़वाली, इस जिले से होगी शुरुआत

पौड़ी (उत्तराखंड पोस्ट) उत्तराखंड के प्राथमिक विद्यालयों में अब गढ़वाली स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बन जाएगी। प्रथम चरण में सोमवार से इसकी शुरुआत पौड़ी जिले के पौड़ी ब्लॉक से हो रही है। यहां प्राथमिक विद्यालयों में पहली से पांचवीं कक्षा तक नौनिहालों को अन्य विषयों के साथ गढ़वाली भी पढ़ाई जाएगी। इसके लिए गढ़वाली भाषा
 

पौड़ी (उत्तराखंड पोस्ट) उत्तराखंड के प्राथमिक विद्यालयों में अब गढ़वाली स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बन जाएगी। प्रथम चरण में सोमवार से इसकी शुरुआत पौड़ी जिले के पौड़ी ब्लॉक से हो रही है।

यहां प्राथमिक विद्यालयों में पहली से पांचवीं कक्षा तक नौनिहालों को अन्य विषयों के साथ गढ़वाली भी पढ़ाई जाएगी। इसके लिए गढ़वाली भाषा के विषय-विशेषज्ञों ने पाठ्यक्रम तैयार कर इसे ब्लॉक के सरकारी और निजी विद्यालयों के शिक्षकों को वितरित कर दिया है।

डीएम की पहल | जिलाधिकारी धीराज सिंह गब्र्याल की पहल पर विषय-विशेषज्ञ जनवरी से गढ़वाली भाषा पाठयक्रम को तैयार करने में जुटे थे। गढ़वाल कमिश्नरी की गोल्डन जुबली के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पाठ्य पुस्तक का विमोचन करते हुए न केवल इस पहल की सराहा था, बल्कि जिले के सभी विद्यालयों में इसे लागू करने के निर्देश भी अधिकारियों को दिए थे। इसके बाद से प्रशासन व भाषा विशेषज्ञ पाठ्यक्रम लागू करने की तैयारियों में जुटे थे। अब पौड़ी ब्लॉक में पाठ्य पुस्तकें वितरित करने के बाद संबंधित शिक्षकों का एक वाट्सएप ग्रुप भी बनेगा। जिससे शिक्षक किसी भी प्रकार की समस्या आने पर विषय विशेषज्ञों से उसका समाधान मांग सकें।

पौड़ी के बाद अन्य ब्लॉकों में होगी शुरुआत | 22 जुलाई को पौड़ी ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालयों में पाठ्यक्रम लागू करने बाद इसे अन्य ब्लॉकों के विद्यालयों में भी लागू किया जाएगा। इस संबंध में शिक्षा विभाग की मांग पर जिलाधिकारी ने पाठ्य-पुस्तकों के लिए शासन को 40 लाख का प्रस्ताव भेजा है। पाठ्यक्रम की जो पांच हजार पुस्तकें तैयार हुई हैं, उन पर आए व्यय को जिला प्रशासन ने वहन किया। शिक्षा विभाग के मुताबिक जिले के 51 हजार बच्चों को पाठ्य-पुस्तक मुहैया कराई जानी हैं। इनमें सरकारी स्कूलों के 26 हजार और निजी स्कूलों के 25 हजार बच्चे शामिल हैं।

ये हैं पाठ्य पुस्तकें –  धगुलि (कक्षा एक), हंसुलि (कक्षा दो), छुबकि (कक्षा तीन), पैजबि (कक्षा चार) और झुमकि (कक्षा पांच)

लोकभाषा को मिलेगा बढ़ावा | पौड़ी के जिलाधिकारी धीरज गब्र्याल का कहना है कि मौजूदा समय में बच्चे अन्य भाषाओं को तो सीख रहे हैं, लेकिन अपनी माटी की भाषा को भूलते जा रहे हैं। मैंने कार्यभार ग्रहण करने के बाद सबसे पहले गढ़वाली बोली-भाषा को विलुप्त होने से बचाने के लिए पाठ्यक्रम तैयार कर उसे प्राथमिक स्कूलों में लागू करने की योजना बनाई। इससे लोकभाषा को तो बढ़ावा मिलेगा ही, नई पीढ़ी उसे आसानी से सीख भी सकेगी।

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