अच्छी ख़बर | गढ़वाल और कुमाऊं को जोड़ने वाली कंडी रोड को मिली हरी झंडी

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो) गढ़वाल एवं कुमाऊं मंडलों के लिए अब सीधी सड़क का रास्ता साफ हो गया है। दोनों मंडलों को जोड़ने वाले वन मार्ग कंडी रोड के कार्बेट नेशनल पार्क में पड़ने वाले कोटद्वार-रामनगर हिस्से के निर्माण को विधि विभाग ने हरी झंडी दे दी है। जागरण की खबर के अऩुसार इस सड़क के
 

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो) गढ़वाल एवं कुमाऊं मंडलों के लिए अब सीधी सड़क का रास्ता साफ हो गया है। दोनों मंडलों को जोड़ने वाले वन मार्ग कंडी रोड के कार्बेट नेशनल पार्क में पड़ने वाले कोटद्वार-रामनगर हिस्से के निर्माण को विधि विभाग ने हरी झंडी दे दी है।

जागरण की खबर के अऩुसार इस सड़क के एलायनमेंट का डिजाइन भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) तैयार करेगा, जबकि निर्माण का जिम्मा नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन (एनबीसीसी) को सौंपा गया है। अगले वर्ष से सड़क का निर्माण कार्य प्रारंभ हो जाएगा। इसके बनने पर उत्तर प्रदेश से होकर गुजरने के झंझट से निजात मिलने के साथ ही यात्रियों के समय और धन की बचत भी होगी।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की प्राथमिकता में शुमार कंडी रोड (लालढांग-चिलरखाल-कालागढ़-रामनगर) के निर्माण को लेकर राज्य सरकार गंभीरता से जुटी है। इस रोड के गैर विवादित लालढांग (हरिद्वार)-चिलरखाल (कोटद्वार) हिस्से के सुदृढ़ीकरण का कार्य पहले ही लोनिवि को सौंपा जा चुका है। इसके बाद सरकार ने कोटद्वार-कालागढ़-रामनगर हिस्से के निर्माण के लिए भी कवायद की।

कार्बेट पार्क में पड़ने वाले इसी हिस्से को लेकर पहले विवाद था और सड़क अधर में लटकी थी। इसके लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रलय की वन्यजीव बहुल क्षेत्रों में सड़क निर्माण के संबंध में पूर्व में जारी की गई गाइडलाइन का सहारा लिया गया। इस कड़ी में उत्तराखंड इको टूरिज्म विकास निगम को नोडल एजेंसी बनाने के साथ ही संबंधित औपचारिकताएं पूरी करने के निर्देश दिए गए।

निगम के प्रबंध निदेशक अनूप मलिक के मुताबिक इस सड़क के निर्माण के मद्देनजर डब्ल्यूआइआइ और एनबीसीसी से एमओयू के लिए प्रस्ताव विधि विभाग को भेजा गया था। उन्होंने बताया कि विधि विभाग ने इसके लिए हरी झंडी दे दी है। अब जल्द ही दोनों संस्थाओं से एमओयू साइन किया जाएगा। डब्ल्यूआइआइ आठ माह के भीतर सड़क के एलायनमेंट का डिजाइन तैयार करेगा, जबकि निर्माण एनबीसीसी करेगा। इससे पहले स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और नेशनल वाइल्डलाइफ बोर्ड से अनुमति लेने का कार्य निगम करेगा। अगले वर्ष से इस सड़क का निर्माण कार्य प्रांरभ करा दिया जाएगा।

(उत्तराखंड पोस्ट के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैंआप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं)