उत्तराखंड | महिलाओं की आवाज गांव से सचिवालय तक पहुंचनी चाहिए: त्रिवेंद्र

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित मातृशक्ति सम्मेलन में देश की कई हस्तियां शामिल हो रही हैं। कार्यक्रम में तीन सत्र हैं। पहला सत्र पहाड़ और पीड़ा : मातृशक्ति की चुनौतियां, दूसरा सत्र मातृशक्ति: पहाड़ी अर्थतंत्र की रीढ़ और तीसरा सत्र उम्मीद की किरणें -विभिन्न क्षेत्रों में पहाड़ का नाम
 

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित मातृशक्ति सम्मेलन में देश की कई हस्तियां शामिल हो रही हैं।

कार्यक्रम में तीन सत्र हैं। पहला सत्र पहाड़ और पीड़ा : मातृशक्ति की चुनौतियां, दूसरा सत्र मातृशक्ति: पहाड़ी अर्थतंत्र की रीढ़ और तीसरा सत्र उम्मीद की किरणें -विभिन्न क्षेत्रों में पहाड़ का नाम रोशन करती मातृशक्ति विषय पर है।

कार्यक्रम में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि महिलाओं की आवाज गांव से सचिवालय तक पहुंचे इसलिए ये कार्यक्रम किया जा रहा है। पहाड़ में महिलाएं खेती में इतनी महनत करती हैं। लेकिन जानवर उन्हें उजाड़ देते हैं। जानवरों से खेती को बचाने के लिए दूसरे विकल्प ढृंढने होंगे। पुराने लोगों ने विकल्प ढृंढे भी, लेकिन आज लोग हाथ खड़े कर देते हैं।

सीएम ने कहा कि सुगंधित पौधों को बंदर और जानवर नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। हमने पहाड़ में खेती के लिए सोलर प्लांट दिए हैं। चीड़ की पत्ती और पिरूल से रोजगार दिया जा सकता है। पिरूल रोजगार का बड़ा साधन हो सकता है। कहा कि हमे बेटियों को फ्रीडम देनी होगी। उन पर विश्वास करना होगा। उन्हें सही गलत बताना होगा। बेटियों को संकोच नहीं करना चाहिए। जब संकोच दूर होगा तभी प्रगति होगी। 

अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने गढ़वाली में अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड आंदोलन में महिलाओं की अहम भूमिका रही है। इस सम्मेलन में जो भी सुझाव मिलेंगे उन्हें पूरा करने के लिए सरकार कोशिश जरूर करेगी। कहा कि सीएम महिलाओं के लिए कई योजनाएं बनाने की बात करते हैं। उनका महिलाओं को फायदा जरूर मिलेगा।

अभिनेत्री हिमानी शिवपुरी ने कहा कि पहाड़ और पीड़ा सदियों से है। पहाड़ को अगर किसी ने बचाया है तो वह महिलाएं हैं। मेरा सपना है कि उत्तराखंड में ऐसी फिल्म बने जिसे इज्जत से देखा जाए। देश और विदेश में भी उसे पसंद किया जाए। उन्होंने सरकार से अपील की कि महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा जिम्मेदारी दें। कहा कि मेरे घर में भी सब कुछ मेरी भाभी संभालती हैं। जबकि वे कामकाजी हैं। उन्होंने पलायन को लेकर अपनी लिखी कविता भी सुनाई।

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