जन्मदिन पर रावत को झटका, प्रदेश में जारी रहेगा राष्ट्रपति शासन

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को अपने जन्मदिन पर सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हरीश रावत और उनके समर्थकों को उम्मीद थी कि अगर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को फैसला उनके पक्ष में गया तो ये जन्मदिन पर हरीश रावत के लिए एक सुखद खबर होगी लेकिन शाम होते-होते मामला तब उलटा पड़
 

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को अपने जन्मदिन पर सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हरीश रावत और उनके समर्थकों को उम्मीद थी कि अगर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को फैसला उनके पक्ष में गया तो ये जन्मदिन पर हरीश रावत के लिए एक सुखद खबर होगी लेकिन शाम होते-होते मामला तब उलटा पड़ गया जब सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि फिल्हाल राज्य में राष्ट्रपति शासन जारी रहेगा। 29 अप्रैल को होने वाले शक्ति परीक्षण को भी टाल दिया गया है। इस मामले में अगली सुनवाई अब 3 मई मंगलवार को होगी।

इससे पहले सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि वो कौन से कारण थे जिनकी वजह से राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करना पड़ा। राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के पीछे सुप्रीम कोर्ट ने सात सवाल पूछकर केंद्र सरकार को जवाब देने को कहा है।

  1. क्या राज्यपाल ने आर्टिकल ने 175 (2) के तहत जिस तरीके से फ्लोर टेस्ट का मैसेज किया, इस तरीके से संदेश भेज सकता है?
  2. विधायकों की सदस्यता रद्द करने का स्पीकर का फैसला क्या राष्ट्रपति शासन लगाने का आधार बनता है?
  3. क्या राष्ट्रपति विधानसभा की कार्यवाही का संज्ञान आर्टिकल 356 के तहत ले सकता है?
  4. विनियोग विधेयक का क्या स्तर रहा, वो पास रहा या फेल हुआ, राष्ट्रपति का इस मामले में क्या रोल है?
  5. फ्लोर टेस्ट में देरी होना क्या राष्ट्रपति शासन का आधार बनता है ?
  6. लोकतंत्र कुछ स्थायी मान्यताओं पर आधारित होता है, उसके अस्थिर होने का मानक क्या हैं ? ये बताया जाए ?
  7. ऐसा कहा जा रहा है कि मनी बिल फेल हो गया और सरकार चली गई, लेकिन अगर स्पीकर नहीं कहता है कि मनी बिल पास नहीं हुआ है तो और कौन कह सकता है ?

गौरतलब है कि पिछले दिनों उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य से राष्ट्रपति शासन हटाने का फैसला सुनाया था, जिसके खिलाफ केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. 22 अप्रैल को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड से राष्ट्रपति शासन हटाने के हाइकोर्ट के फैसले पर 27 अप्रैल तक रोक लगा दी थी. साथ ही 26 अप्रैल तक हाइकोर्ट के फैसले की कॉपी मांगी थी.