शहादत को सलाम | भारत मां की रक्षा करते हुए शहीद हुआ उत्तराखंड का लाल

उत्तराखंड का एक और लाल मुल्क की सरहदों की हिफाजत करते हुए शहीद हो गया। कश्मीर के गुलमर्ग में सिख रेजिमंट में तैनात भारतीय फौज के जवान मोहम्मद रफी को भारी बर्फबारी ने 15 जनवरी को अपना निवाला बना लिया। बर्फीली मौत से मोहम्मद रफी अस्पताल में जूझते रहे मगर मौत जीत गई। 18 जनवरी
 

उत्तराखंड का एक और लाल मुल्क की सरहदों की हिफाजत करते हुए शहीद हो गया। कश्मीर के गुलमर्ग में सिख रेजिमंट में तैनात भारतीय फौज के जवान मोहम्मद रफी को भारी बर्फबारी ने 15 जनवरी को अपना निवाला बना लिया। बर्फीली मौत से मोहम्मद रफी अस्पताल में जूझते रहे मगर मौत जीत गई। 18 जनवरी को उत्तराखंड के उधमसिंहनगर जिले के बाजपुर निवासी जवान मो0 रफी शहीद हो गये। बाजपुर में उनके पार्थिव शरीर को सैन्य सम्मान के साथ सुपुर्देखाक किया गया।

शहीद जवान की अंतिम यात्रा में नम आंखों के साथ जो जन सैलाब उमड़ा उसे देखकर सबने रश्क किया होगा। क्योंकि कहा गया है, जिंदगी हो तो सबके काम आए और मौत हो तो सबकी आंखों में आंसू आंए। भारतीय सेना जवान मोहम्मद रफी सबको रुला कर भारत मां की उसी गोद मे समा गया जिसकी हिफाजत की उसने कसम खाई थी।

शहीद मोहम्मद रफी सन् 1995 में सेना में भर्ती हए थे। कक्षा 5 तक की तालीम प्राथमिक विद्यालय बाजपुर ओर कक्षा 6 से हाई स्कूल तक की तालीम बाजपुर इण्टर कालेज से हासिल करने के बाद उन्हें भारतीय सेना की वर्दी पहनने का जूनून सवार हो उठा। लिहाजा मुल्क की हिफाजत के लिए मो.रफी आर्मी में भर्ती  हो गए थे।

कारगिल युद्ध के दौरान भी मोहम्मद रफी जम्मू-कश्मीर में तैनात रहे।  इनकी शादी सन् 2003 में बरेली से हुयी। मुल्क के लिए अपनी शहादत देने वाले मोहम्मद रफी अपने पीछे अपनी  पत्नी समेत 4 गमजदा बेटियो को छोड गए हैं।