उत्तरकाशी | 9 दिन बाद बड़ी खुशखबरी, 41 मजदूरों तक पहुंचा 6 इंच का पाइप

दरसअल, ये पाइप पत्थर के आरपार न जा पाने की वजह से अटका हुआ था। अब 57 मीटर में यह पाइप आरपार हो गया है। अब इस पाइप की मदद से मजदूरों तक नार्मल खाना यानी रोटी सब्जी, चिकित्सा जैसा समान पहुंच पाएगा क्योंकि इससे पहले मजदूर मुरमुरे, उबला और भूना चना और ड्राई फ्रूट्स खा रहे थे।
 
  <a href=https://youtube.com/embed/uRO8l031h4E?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/uRO8l031h4E/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" style="border: 0px; overflow: hidden"" style="border: 0px; overflow: hidden;" width="640">

उत्तरकाशी (उत्तराखंड पोस्ट) उत्तरकाशी टनल हादसे में रेस्क्यू ऑपरेशन युद्धस्तर पर जारी है। इस बीच एक अच्छी खबर मिली है। बचाव टीम को 9 दिन में पहली खुशखबरी मिली है। रिपोर्ट के मुताबिक, 41 मजदूरों तक लाइफ सपोर्ट और खाने-पीने से जुड़ा सामान पहुंचाने के लिए छह इंच का पाइप पहुंच गया है।

दरसअल, ये पाइप पत्थर के आरपार न जा पाने की वजह से अटका हुआ था। अब 57 मीटर में यह पाइप आरपार हो गया है। अब इस पाइप की मदद से मजदूरों तक नार्मल खाना यानी रोटी सब्जी, चिकित्सा जैसा समान पहुंच पाएगा क्योंकि इससे पहले मजदूर मुरमुरे, उबला और भूना चना और ड्राई फ्रूट्स खा रहे थे।

<a href=https://youtube.com/embed/ts2SUcHsFVU?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/ts2SUcHsFVU/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" style="border: 0px; overflow: hidden"" style="border: 0px; overflow: hidden;" width="640">

उत्तरकाशी टनल रेस्क्यू मिशन पर NHIDCL के निदेशक अंशू मनीष खलखो ने कहा कि अपनी टीम को बधाई देना चाहता हूं, जिन्होंने अथक प्रयास करते हुए बड़ी खुशखबरी दी है।

नेशनल हाइवेज और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलेपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHIDLC) के डायरेक्टर अंशू मनीष खालगो ने बताया कि Auger मशीन 23 मीटर पर रुकी हुई है क्योंकि उसके आगे बड़ा सा बॉर्डर आ गया है, लेकिन मैं वादा करता हूं कि हम डिलीवर करेंगे। हमारी पहली प्राथमिकता है कि यह अंदर हार्ड फूड पहुंचाया जाए, मजदूर तक आज प्रॉपर खाना भेजा जाएगा।

एनएचआईडीसीएल के निदेशक अंशू मनीष ने कहा कि डीआरडीओ ने 20 किलो और 50 किलो वजन वाले दो रोबोट भेजे हैं। रोबोट जमीन पर चलते हैं और जमीन रेत की तरह काम कर रही है, हमें आशंका है कि रोबोट वहां चल पाएंगे या नहीं।

<a href=https://youtube.com/embed/eABu2YD05dA?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/eABu2YD05dA/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" style="border: 0px; overflow: hidden"" style="border: 0px; overflow: hidden;" width="640">

परिवहन और राजमार्ग सचिव ने कहा, “पांच विकल्प तय किए गए और इनको पूरा करने के लिए पांच अलग-अलग एजेंसियों को जिम्मा सौंपा गया। पांच एजेंसियों तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी), सतलुज जल विद्युत निगम (एसजेवीएनएल), रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल), राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल), और टेहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (टीएचडीसीएल) को जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं।” जैन ने कहा कि सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) और भारतीय सेना की निर्माण शाखा भी बचाव अभियान में सहायता कर रही है।

क्या हैं विकल्प

फंसे हुए मजदूरों को निकालने के लिए सतलुज जल विद्युत निगम द्वारा सुरंग के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग।

सीमा सड़क संगठन द्वारा केवल एक दिन में एक एप्रोच रोड पूरा करने के बाद रेल विकास निगम ने आवश्यक आपूर्ति के लिए एक और वर्टिकल पाइपलाइन पर काम शुरू कर दिया है।

गहरी ड्रिलिंग में विशेषज्ञता रखने वाली ओएनजीसी ने दूसरे छोर से वर्टिकल ड्रिलिंग पर काम शुरू कर दिया है।

राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निकाय सुरक्षा व्यवस्था पर काम करने के बाद मुख्य सिल्क्यारा छोर से ड्रिलिंग जारी रखे। इसकी सुविधा के लिए सेना ने बॉक्स पुलिया तैयार की है. मजदूरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक केनोपी का ढांचा बनाया जा रहा है।

टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन माइक्रो टनलिंग पर काम करेगा, जिसके लिए भारी मशीनरी पहले ही जुटाई जा चुकी है।

गौरतलब है बचाव दल श्रमिकों के साथ नियमित संचार बनाए रख रहे हैं, यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि उनका उत्साह बरकरार रहे और उनकी आशा जीवित रहे। थाईलैंड और नॉर्वे की विशिष्ट बचाव टीमें, जिनमें 2018 में थाईलैंड की एक गुफा में फंसे बच्चों को सफलतापूर्वक बचाने वाली टीम भी शामिल है, चल रहे बचाव अभियान में सहायता के लिए शामिल हो गई हैं।