बड़ी ख़बर | 9 बागी कांग्रेस विधायकों की सदस्यता समाप्त
उत्तराखंड में एक तरफ राष्ट्रपति शासन का फैसला आया तो दूसरी तरफ विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस के नौ बागी विधायकों को अयोग्य ठहराते हुए उऩकी विधानसभा सदस्यता समाप्त करने का फैसला सुना दिया। विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने देहरादून में मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि दल बदल निरोधी कानून के तहत उन्होंने बागी कांग्रेस विधायकों को नोटिस जारी किया था और एक सप्ताह के अंदर जवाब मांगा था। बागी विधायकों के जवाब से असंतुष्ट विधानसभा अध्यक्ष ने बागी विधायकों को दल बदल निरोधी कानून का उल्लंघन करने का दोषी पाते हुए उनकी विधानसभा सदस्यता खत्म करने का फैसला किया। (पढ़ें-ये लोकतंत्र की हत्या है, BJP ने 25-25 करोड़ में विधायकों को खरीदा : रावत) (पढ़ें-हरीश ऱावत के विश्वासमत से पहले उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू)
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने इसकी जानकारी भारत निर्वाचन आय़ोग को भेज दी है। गौरतलब है कि 18 मार्च को कांग्रेस के नौ विधायकों ने फाइनेंस बिल पर विपक्षी पार्टी भाजपा के सुर में सुर मिलाते हुए अपनी ही सरकार के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद कर दिया था। इतना ही नहीं बागी विधायकों ने राज्यपाल से मुलाकात कर हरीश रावत सरकार को बर्खास्त करने तक की मांग की थी। जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने बागी विधायों को दल बदल निरोधी कानून के तहत नोटिस जारी करते हुए 26 मार्च तक जवाब देने को कहा था। शनिवार शाम को और रविवार सुबह बागी विधायकों के वकील और प्रतिनिधियों ने हालांकि विधानसभा अध्यक्ष के सामने बागी विधायकों का पक्ष रखा लेकिन विस अध्यक्ष उससे संतुष्ट नहीं हुए। (पढ़ें-राष्ट्रपति शासन सही फैसला, हरीश रावत के भ्रष्टाचार की हो जांच: बहुगुणा) (पढ़ें-उत्तराखंड को गिरोह की सरकार से बचाने के लिए लगा राष्ट्रपति शासन: BJP)
इन पर गिरी गाज
कांग्रेस के जो नौ विधायक भाजपा खेमे में शामिल हुए उनमें पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा (विधायक सितारगंज), हरक सिंह रावत (विधायक रूद्रप्रयाग ), प्रदीप बत्रा (रूड़की), शैलेंद्र सिंघल (जसपुर), उमेश शर्मा काऊ (रायपुर), सुबोध उनियाल (नरेंद्रनगर), शैला रानी रावत (केदारनाथ), अमृता रावत (रामनगर) और प्रणव चैंपियन (विधायक खानपुर) शामिल हैं।