‘मिलकर रहना सीखो’ के तहत राजभवन पहुंचे 12 जिलों के 67 बच्चे

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‘मिलकर रहना सीखो’ के तहत राजभवन पहुंचे 12 जिलों के 67 बच्चे

उत्तराखण्ड बाल कल्याण परिषद् द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय ‘मिलकर रहना सीखो’ शिविर में उत्तराखण्ड के 12 जनपदों के 67 प्रतिभागी बच्चे, 20 शिक्षकों के साथ बुधवार को राजभवन पहुंचे। 10 से 16 वर्ष आयु के इन सभी बच्चों को राज्यपाल डा. कृष्ण कांत पाल ने विशेष रूप से आमंत्रित किया था। इस दौरान राज्यपाल ने


उत्तराखण्ड बाल कल्याण परिषद् द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय ‘मिलकर रहना सीखो’ शिविर में उत्तराखण्ड के 12 जनपदों के 67 प्रतिभागी बच्चे, 20 शिक्षकों के साथ बुधवार को राजभवन पहुंचे। 10 से 16 वर्ष आयु के इन सभी बच्चों को राज्यपाल डा. कृष्ण कांत पाल ने विशेष रूप से आमंत्रित किया था। इस दौरान राज्यपाल ने बच्चों सीधा संवाद स्थापित किया। आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों की शैक्षिक गतिविधियों को विस्तार देने के लिए राज्यपाल ने विवेकाधीन कोष से राज्य बाल कल्याण परिषद को रूपये दो लाख की वित्तीय सहायता प्रदान की।

स्कूली जीवन का अहम हिस्सा है शिविर | राज्यपाल ने कहा कि यह शिविर स्कूली जीवन का एक अहम हिस्सा और बच्चों के शैक्षिक जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव है। दूर-दराज से आये बच्चों को नये परिवेश और नये वातावरण से परिचित होकर हर दिन कुछ नया सीखने का मौका मिलता है। अलग-अलग जगह से आये बच्चों की आपस में मुलाकात होती है। अलग भाषा-बोली और अलग-अलग पारिवारिक माहौल से आये बच्चों का एक हफ्ते तक हर समय एक साथ रहना, खाना, सोना, जीवन का एक अलग अनुभव है। नये-नये दोस्त बनते हैं, हो सकता है कोई सारे जीवन भर के लिए हो। बचपन की दोस्ती सारी जिन्दगी चलती है क्योंकि वह निःस्वार्थ होती है। शिविर में मिल-जुल कर रहने की समझ और एक दूसरे की मदद करने की भावना विकसित होती है। सबसे बड़ी बात है कि शिविर में शामिल बच्चों के बीच किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होता इससे उनके दिल में सामाजिक सद्भाव, देश-प्रेम तथा राष्ट्रीय एकता की भावना पोषित होती है।

बच्चों को किया पुरस्कृत | राज्यपाल ने, शिविर के दौरान आयोजित निबन्ध और सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान हासिल करने वाले बच्चों को पुरस्कृत किया और उन्हें शाबासी दी। उन्होंने कहा कि जिन बच्चों को पुरस्कार नहीं मिल पाया वो ये ना समझें कि उनमें कोई काबिलियत नहीं है। लगन, मेहनत, ईमानदारी और अनुशासन उन्हें किसी और क्षेत्र में बहुत बड़ी सफलता दिलायेगी। कड़ी मेहनत, लगन, ईमानदारी और अनुशासन ये ऐसे औजार हैं जिनके बलबूते कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। उन्होंने बच्चों के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि यहां से वापस जाकर अपने अनुभवों और अपने ज्ञान को अपने साथियों के साथ जरूर साझा करना।

श्रेष्ठ अतिथि वक्ताओं को बुलाएं |  शिविर को और अधिक सार्थक व प्रभावी बनाने के लिए राज्यपाल ने आयोजकों को कई महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए। उन्होंने कहा कि ऐसे श्रेष्ठ अतिथि वक्ताओं को शिविर में आमंत्रित किया जाए जिनके अनुभव बच्चों को चरित्र निर्माण, मानवीय मूल्यों की अहमियत तथा कुछ नया सीखने के लिए प्रेरित करें।

बच्चों को दें कम्पयूटर शिक्षा | राज्यपाल ने कम्प्यूटर शिक्षा को आवश्यक बताते हुए कहा कि बच्चों को कम्प्यूटर शिक्षा के फायदे बताकर उनकी जिज्ञासायें बढ़ायें ताकि वे स्वयं ही कम्प्यूटर सीखने को लालायित हों। बच्चों में आत्मविश्वास की वृद्धि के लिए जरूरी है कि उनका संकोच दूर किया जाए, उनकी संवाद क्षमता बढ़ाने के लिए उन्हें सबके सामने खुद को अभिव्यक्त करने के अवसर दिए जाएं। शिविर के दौरान बच्चों को कुछ प्रेरणादायक फिल्में दिखाने के साथ ही उनकी तर्कशक्ति व सोचने की क्षमता बढ़ाने वाले खेल कराए जाएं। उन्हें अधिक से अधिक एक्सपोजर दें ताकि जब वे शिविर से वापस लौटें तो उनमें कुछ सुखद बदलाव स्पष्ट रूप से दिखाई दे।

राज्यपाल ने सुविधाविहीन परिवारों के बच्चों की पढ़ाई में मददगार शिक्षकों व स्वयंसेवियों की सराहना करते हुए उनका विशेष आभार प्रकट करते हुए कहा कि समाज के और लोग भी इनसे प्रेरित होंगे और शीघ्र ही ऐसा समय भी आयेगा जब प्रत्येक बच्चे को समान शिक्षा का मौलिक अधिकार प्राप्त हो सकेगा।

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