उत्तराखंड | बीजेपी नेता पीड़ित से बोले- मैं क्या कर सकता हूं ? ये तो शारीरिक नीड है

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उत्तराखंड | बीजेपी नेता पीड़ित से बोले- मैं क्या कर सकता हूं ? ये तो शारीरिक नीड है

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) भाजपा के एक पदाधिकारी पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगने के बाद उक्त पदाधिकारी को पद से हटा दिया गया है। इस बीच इस पूरे मसले को लेकर पीड़ित ने भाजपा के एक महानगर अध्यक्ष विनय गोयल से बात की। इस बातचीत को एक कैमरे में रिकार्ड किया गया, इस दौरान गोयल


उत्तराखंड | बीजेपी नेता पीड़ित से बोले- मैं क्या कर सकता हूं ? ये तो शारीरिक नीड है

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) भाजपा के एक पदाधिकारी पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगने के बाद उक्त पदाधिकारी को पद से हटा दिया गया है। इस बीच इस पूरे मसले को लेकर पीड़ित ने भाजपा के एक महानगर अध्यक्ष विनय गोयल से बात की। इस बातचीत को एक कैमरे में रिकार्ड किया गया, इस दौरान गोयल और पीड़िता के बीच हुई बातचीत को सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे।

अमर उजाला की खबर के अनुसार आरोपी पदाधिकारी के चरित्र पर पीड़िता के सवाल उठाने पर भाजपा महानगर अध्यक्ष कहते हैं कि प्रचारक की भी शारीरिक नीड होती है, वो कोई खुदा का बंदा नहीं।

अमर उजाला की खबर के अनुसार पीड़िता और विनय गोयल के बीच बातचीत के अंश

विनय गोयल- देखो, पहले जब आप आई थी, मैंने कहा था राजनीति में हर आदमी महिलाओं को गिद्ध की दृष्टि से देखता है। वो ये जानते हैं कि अगर ये महिला निकल कर आई है तो ये मेंटली प्रीपेयर होकर आई है। लोगों की ये सोच है। वो सब पर अधिकार समझते हैं।

पीड़िता- देखिए एक आम आदमी जाए और ये करे तो चलता है, पर जब आप संघ के प्रचारक हैं।

विनय- मैं एक बात बताऊं आपको कि पहली बात तो ये दिमाग से निकाल दो कि संघ का प्रचारक है तो वो कोई खुदा का बंदा हो गया।

पीड़िता- अगर वो नहीं रह सकते तो फिर आम जिंदगी में जाएं न

विनय- नो नो.. मैं बता रहा हूं आपको… क्या है कि ये एक शारीरिक नीड भी है और मतलब हमने ऐसे-ऐसे वर्णन देखे हैं, डिस्कस करना भी ठीक नहीं लगता। ऐसे ऐसे किस्से हैं…। समझे न बात को।

पीड़िता- अगर वो नहीं चला सकते तो छोड़ दें, क्यों बने हुए ?

विनय- ऐसा है न कि..

पीडिता- और बीजेपी अपने ऐसे पदाधिकारी का कुछ नहीं कर सकती तो कार्यकर्ता से क्यों उम्मीद करती है ?

(कुछ देर खामोशी…..)

विनय- मैं क्या कर सकता हूं

पीड़िता- पहला स्टेप तो वही है, दूसरा, उस कीचड़ को वाकई में हटाना है। मैं इस पार्टी के साथ ही बड़ी हुई हूं। आरएसएस मेरे परिवार का एक हिस्सा है मेरे घर के लड़के संघ के लिए मरे हैं। जो टाप लेवल के लोग हैं, वे जानते हैं। मैं यहां जीने आई ही नहीं। जरूरत पड़ेगी तो मैं अपने देश के लिए और अपने समाज के लिए मर सकती हूं। इतनी हिम्मत रखती हूं। हां न्याय से प्यार है। अन्याय न होने दूंगी, न सहूंगी। मुझे आपका सहयोग दो जगह चाहिए। पहला फोन वापसी और दूसरा जो गंद फैला है, इसको समेटने में मदद चाहिए। …क्यों हमने पूरा का पूरा संगठन एक आदमी की सनक के ऊपर छोड़ दिया है। क्यों जो भी हो रहा है, हम हर जगह शर्मिंदा होते हैं और फिर ढो रहे हैं।

हां, अगर मौका मिलेगा तो मैं उस कीचड़ को साफ जरूर करना चाहूंगी। मैं इतनी सी थी कि मैंने बीजेपी के लिए कैंपेन किया है। बहुत छोटी उम्र में भाईयों के साथ शाखाओं में गई हूं। इन चीजों के लिए नहीं किया था।

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