उत्तराखंड में चीन से लगी सीमा पर बढ़ेगा अब तनाव ! ये है मामला
नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट) भारत और चीन के बीच चल रहे तनाव की पहुंच उत्तराखंड तक जा पहुंची है। दरअसल, पेइचिंग उत्तराखंड से लगी सीमा पर चीन ने एक और आपत्ति जताई है। लिपुलेख के पास बनाए गए एक टेंपररी स्ट्रक्चर को लेकर अब ड्रैगन ने आपत्ति जताई है। बताया गया कि जब भारत ने
नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट) भारत और चीन के बीच चल रहे तनाव की पहुंच उत्तराखंड तक जा पहुंची है। दरअसल, पेइचिंग उत्तराखंड से लगी सीमा पर चीन ने एक और आपत्ति जताई है। लिपुलेख के पास बनाए गए एक टेंपररी स्ट्रक्चर को लेकर अब ड्रैगन ने आपत्ति जताई है।
बताया गया कि जब भारत ने कुछ दिनों पहले लिपुलेख तक जाने वाली एक सड़क का उद्घाटन किया, उसके बाद से ही चीन टेंपरेरी स्ट्रक्चर को लेकर सवाल उठाने लगा। इसके बाद से ही दोनों तरफ सैनिकों की पेट्रोलिंग भी बढ़ गई है।
क्यो अहम है लिपुलेख ? बता दें कि उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे को पार कर चीन की सीमा में प्रवेश करते हैं और यहां से कैलास मानसरोवर यात्रा इसी रास्ते से जाती है। साथ ही भारत-चीन के बीच होने वाले व्यापार के लिए भी लिपुलेख दर्रे से ही व्यापारी चीन की तकलाकोट मंडी जाते हैं।
दरअसल, भारत ने लिपुलेख दर्रे पर एक पुल बनाया है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इसका उद्घाटन किया था। 17000 फुट की ऊंचाई पर लिपुलेख दर्रा आसानी उत्तराखंड के धारचूला से जुड़ जाएगा। इसके बाद भारतीय चौकियों तक पहुंचना अब बेहद आसाना हो जाएगा। इस सड़क की लंबाई 80 किलोमीटर है। मानसरोवर लिपुलेख दर्रे से करीब 90 किलोमीटर दूर है। पहले वहां पहुंचने में तीन हफ्ते का समय लगता था। अब कैलाश-मानसरोवर जाने में सिर्फ सात दिन लगेंगे। बूंदी से आगे तक का 51 किलोमीटर लंबा और तवाघाट से लेकर लखनपुर तक का 23 किलोमीटर का हिस्सा बहुत पहले ही निर्मित हो चुका था लेकिन लखनपुर और बूंदी के बीच का हिस्सा बहुत कठिन था और उस चुनौती को पूरा करने में काफी समय लग गया।
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