पुलिस ने नहीं सुनी बात तो DGP के फर्जी अकाउंट से पुलिस को दिए कार्रवाई के निर्देश

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पुलिस ने नहीं सुनी बात तो DGP के फर्जी अकाउंट से पुलिस को दिए कार्रवाई के निर्देश

लखनऊ (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो) हाल ही में एक मामला सामने आया है जिसमें पता चला कि 9वीं के एक छात्र ने ठगी की रिपोर्ट दर्ज न होने पर डीजीपी का फेक ट्विटर अकाउंट बनाकर पुलिसवालों को कार्रवाई के निर्देश दे डाले। हैरत की बात यह है कि पुलिस भी इस फर्जी अकाउंट को असली समझ बैठी


पुलिस ने नहीं सुनी बात तो DGP के फर्जी अकाउंट से पुलिस को दिए कार्रवाई के निर्देश

लखनऊ (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो) हाल ही में एक मामला सामने आया है जिसमें पता चला कि 9वीं के एक छात्र ने ठगी की रिपोर्ट दर्ज न होने पर डीजीपी का फेक ट्विटर अकाउंट बनाकर पुलिसवालों को कार्रवाई के निर्देश दे डाले।

हैरत की बात यह है कि पुलिस भी इस फर्जी अकाउंट को असली समझ बैठी ओर अधिकारी के फर्जी ट्विटर अकाउंट से निर्देश आने पर पुलिस हरकत में आई और आननफानन में रिपोर्ट दर्ज कर छानबीन में जुट गई। इस जालसाजी का खुलासा तब हुआ जब छात्र के रिश्तेदार ने फर्जी अकाउंट से पुलिसकर्मियों को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया। गोरखपुर पुलिस ने शनिवार को दो नाबालिग आरोपितों को पकड़ा और चेतावनी के बाद दोनों को छोड़ दिया। पुलिस ब्लैकमेल करने वाले की तलाश कर रही है।

डीजीपी का फेक ट्विटर अकाउंट बनाने वालों की साइबर क्राइम सेल पिछले दो महीने से तलाश कर रही थी। गोरखपुर के गुलरिहा थाने की पुलिस ने शनिवार को फर्जी अकांउट बनाने के मामले में दो नाबालिगों को पकड़ा। इसमें एक 9वीं का छात्र है जबकि उसका दोस्त पिता के साथ मैकेनिक का काम करता है। दोनों को अभिभावकों के साथ यहां लाकर पूछताछ की गई तो इस अपराध के पीछे पुलिस का सुस्त रवैया सामने आया।

पुलिस ने नहीं सुनी बात तो DGP के फर्जी अकाउंट से पुलिस को दिए कार्रवाई के निर्देश

कक्षा नौ के छात्र ने बताया कि कुछ महीने पहले महराजगंज के एक एजेंट ने उसके भाई से दुबई भेजने के नाम पर 45 हजार रुपये ठग लिए। पिता कई बार थाने गए, लेकिन पुलिस ने उन्हें भगा दिया। उन्होंने सीएम और डीजीपी के ट्विटर हैंडल पर भी शिकायत की, लेकिन अफसरों ने संज्ञान नहीं लिया। छात्र के एक रिश्तेदार युवक ने उसे डीजीपी का फेक अकाउंट बनाने की सलाह दी।

छात्र ने बताया कि इस फेक अकाउंट से ट्वीट करते ही महराजगंज पुलिस उसके घर आ गई तहरीर लेकर रिपोर्ट दर्ज कर ली। पुलिस ने एजेंट को पकड़कर उससे 30,00 रुपये भी वापस करवा दिए। इसके बाद उसी रिश्तेदार ने थानों में लम्बित केस पता करके पुलिस को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया तो फर्जी अकाउंट का भंडाफोड़ हुआ। साइबर क्राइम सेल के नोडल अफसर अभय कुमार मिश्र ने बताया कि आरोपितों को पूछताछ के बाद अभिभावकों के साथ भेज दिया गया है। पुलिस अब उस युवक की तलाश कर रही है।

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