उत्तराखंड | मुख्यमंत्री के OSD समेत चार के खिलाफ 70 लाख रुपये गबन की शिकायत, ये है मामला

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उत्तराखंड | मुख्यमंत्री के OSD समेत चार के खिलाफ 70 लाख रुपये गबन की शिकायत, ये है मामला

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के ओएसडी जेसी खुल्बे समेत चार पूर्व व वर्तमान अधिकारियों के खिलाफ विभिन्न योजनाओं में 70 लाख रुपये का गबन करने के आरोप में न्यायालय ने शिकायत (परिवाद) दर्ज की है। अमर उजाला की खबर के अनुसार मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एमएम पांडेय की अदालत में पूर्व सहायक कृषि


देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के ओएसडी जेसी खुल्बे समेत चार पूर्व व वर्तमान अधिकारियों के खिलाफ विभिन्न योजनाओं में 70 लाख रुपये का गबन करने के आरोप में न्यायालय ने शिकायत (परिवाद) दर्ज की है।

अमर उजाला की खबर के अनुसार मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एमएम पांडेय की अदालत में पूर्व सहायक कृषि अधिकारी के प्रार्थनापत्र पर यह शिकायत दर्ज हुई है। न्यायालय ने मामले में किसी सक्षम अधिकारी से जांच कराने के आदेश भी सरकार को दिए हैं। प्रकरण में अगली सुनवाई के लिए पांच फरवरी की तिथि नियत की गई है।

सितंबर 2018 में पूर्व सहायक कृषि अधिकारी रमेश चंद चौहान ने अदालत में कृषि विभाग से जुड़े अधिकारियों पर कार्रवाई को प्रार्थनापत्र दाखिल किया था। शिकायत के अनुसार 2015 में आईडब्ल्यूएमपी (समेकित जलागम प्रबंधन कार्यक्रम) और राष्ट्रीय जलागम विकास योजना के तहत विभिन्न कार्य किए जा रहे थे।

ये दोनों योजनाएं केंद्र सरकार द्वारा पोषित हैं। मुख्यमंत्री के ओएसडी जेसी खुल्बे उस वक्त कृषि एवं भूमि संरक्षण अधिकारी चकराता के पद पर तैनात थे। तत्कालीन सहायक कृषि अधिकारी ओमवीर सिंह, कृषि निदेशक गौरी शंकर और मुख्य कृषि अधिकारी विजय देवराड़ी उनके साथ मिले हुए थे।

आरोप है कि ओमवीर सिंह ने जेसी खुल्बे के साथ मिलकर योजना के अंतर्गत तमाम फर्जी बिल, मजदूरी प्रमाणपत्र आदि बनाए। इस योजना में व्यय का लेखा जोखा और धन निर्गत करने की जिम्मेदारी मुख्य कृषि अधिकारी विजय देवराड़ी और कृषि निदेशक गौरी शंकर की थी। इस मामले में उस वक्त संदिग्धता के चलते चकराता के दो गांवों में हुए कार्यों की जांच हुई तो मामला पकड़ में आया।

जांच में पता चला कि इन कार्यों में जिन लोगों को मजदूरी करना दर्शाया गया है उनमें कुछ दिव्यांग हैं तो कुछ कॉलेजों के छात्र हैं। भौतिक सत्यापन में ये सारी बातें पुष्ट हुईं। उस वक्त शासन के आदेश पर जांच भी हुई।

पांच सदस्यीय समिति ने इसकी रिपोर्ट तैयार की, जिसमें फर्जीवाड़े की पुष्टि हुई। इस तरह के फर्जीवाड़े से इन योजनाओं के अंतर्गत कुल 70 लाख रुपये का गबन किया गया। पता चला जिस धनराशि के लिए अधिकारियों की अनुमति जरूरी है, उसे प्रधानों और वार्ड मेंबरों ने भी जारी किया था।

इस मसले में शिकायतकर्ता रमेश चंद चौहान ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगी। इस पर उन्होंने जुलाई में थाना पटेलनगर को तहरीर दी थी, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने 30 अगस्त को एसएसपी को शिकायत की।

यहां भी इस पर कोई गौर नहीं किया गया। इसके बाद उन्होंने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में 156(3) के तहत एफआईआर दर्ज कराने को प्रार्थनापत्र दाखिल किया। अधिवक्ता संजय कुकरेती ने बताया कि अदालत ने सभी साक्ष्यों पर गौर करते हुए शिकायत को दर्ज कर लिया है।

उन्होंने इसमें पुलिस के बजाय किसी सक्षम अधिकारी से जांच कराने के आदेश सरकार को दिए हैं। इस संबंध में अदालत की ओर से जिलाधिकारी को भी आदेशित किया जा चुका है।

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