गढ़वाल की 7 और कुमाऊं की इन 2 सीटों पर फंस सकती है कांग्रेस !
उत्तराखंड में चुनाव से पहले ही बागियों से परेशान कांग्रेस अब चुनावी दहलीज पर भी बागियों की भरमार के चलते मुश्किलों में घिर गई है। नाम वापसी के आखिरी तारीख गुजर चुकी है। पर्चा भर चुके दो दर्जन कांग्रेसी नेताओं पार्टी के आगे सरेंडर करने से इंकार करके अपने तेवर जाहिर कर दिए हैं कि
उत्तराखंड में चुनाव से पहले ही बागियों से परेशान कांग्रेस अब चुनावी दहलीज पर भी बागियों की भरमार के चलते मुश्किलों में घिर गई है। नाम वापसी के आखिरी तारीख गुजर चुकी है। पर्चा भर चुके दो दर्जन कांग्रेसी नेताओं पार्टी के आगे सरेंडर करने से इंकार करके अपने तेवर जाहिर कर दिए हैं कि वे अब पीछे हटने वाले नहीं है। अब ख़बरें एक क्लिक पर इस लिंक पर क्लिक कर Download करें Mobile App –https://play.google.com/store/apps/details?id=app.uttarakhandpost
डैमेज कंट्रोल फेल होते देख कांग्रेस ने भी इन नेताओं पर अनुशासन का डंडा चलाने में देर नहीं की और पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों के खिलाफ 21 विधानसभा सीटों पर ताल ठोक रहे 24 नेताओँ को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
21 विधानसभा सीटों पर ताल ठोक रहे 24 नेताओं को पार्टी से निष्कासित करने के बाद अब कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती इन बागियों की सीट में अपनी जीत की उम्मीदों को जिंदा रखना है। हालांकि सभी सीटों पर बागियों को स्थिति बहुत मजबूत नहीं है लेकिन करीब 9 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां पर बागी कांग्रेस की जीत की संभावना को क्षीण कर सकते हैं
इन नौ विधानसभा सीटों में से सात विधानसभा सीटें गढ़वाल मंडल में हैं तो दो सीटें कुमाऊं मंडल की हैं जहां पर कांग्रेस मुश्किल में फंसती नजर आ रही है।
गढ़वाल में इन सात सीटों पर मुश्किल
- सहसपुर विधानसभा से आर्येन्द्र शर्मा
- देहरादून कैंट विधानसभा से लक्ष्मण सिंह नेगी और नवीन बिष्ट
- धर्मपुर विधानसभा से हाजी नूर हसन और मैडम रजनी रावत
- रायपुर विधानसभा से मैडम रजनी रावत
- ज्वालापुर विधानसभा से बृज रानी
- यमकेश्वर विधानसभा से रेणु बिष्ट
- देवप्रयाग विधानसभा से शूरवीर सिह सजवाण
कुमाऊं में इन दो सीटों पर मुश्किल
- भीमताल विधानसभा से रामसिह कैड़ा
- लालकुंआ विधानसभा से हरेन्द्र बोरा
इसके अलावा कांग्रेस के सामने उन सीटों पर भी खुद को मजबूत बनाए रखना चुनौती है, जिन सीटों पर पिछले चुनाव में उनके 10 विधायक जीते थे। इन सीटों में केदारनाथ, नरेन्द्रनगर, रायपुर, रुड़की, खानपुर, रामनगर, सोमेश्वर, सितारगंज, रुद्रप्रयाग सीटें शामिल हैं।
कांग्रेस के बागी लड़ तो 21 विधानसभा सीटों में रहे हैं लेकिन इऩ सात सीटें पर बागियों की दमदार उपस्थिति कांग्रेस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। कांग्रेस के ये बागी जान भले ही न दर्ज कर पाएं लेकिन कांग्रेस की सत्ता में वापसी की उम्मीद पर पानी जरुर फेर सकती है। ऐसे में ये देखना रोचक होगा कि कांग्रेस इन बागियों से निपटने के लए किस रणनीति पर काम करती है
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