“त्रिवेंद्र से आगे निकले धनेन्द्र, पीछे रह गए बेचारे सतपालेंद्र और हरकेंद्र”

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“त्रिवेंद्र से आगे निकले धनेन्द्र, पीछे रह गए बेचारे सतपालेंद्र और हरकेंद्र”

देहरादून [अमित तिवारी] पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और उनके कैबिनेट सहयोगियों पर तंज कसते हुए निशाना साधा है। (उत्तराखंड पोस्ट के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं, आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं( मुख्यमंत्री ने अपने फेसबुक पेज पर हल्के अंदाज में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ


देहरादून [अमित तिवारी] पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और उनके कैबिनेट सहयोगियों पर तंज कसते हुए निशाना साधा है। (उत्तराखंड पोस्ट के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं, आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं(

मुख्यमंत्री ने अपने फेसबुक पेज पर हल्के अंदाज में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ ही, कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत, सतपाल महाराज औऱ हरक सिंह रावत पर तीखा प्रहार किया है।

मुख्यमंत्री ने लिखा कि आपसी प्रतिद्वंदता में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत कहीं आगे निकल गए हैं जबकि सतपाल महाराज और हरक सिंह रावत काफी पीछे छूट गए हैं।

नीचे पढ़िए हरीश रावत की पूरी फेसबुक पोस्ट-

वाहः त्रिवेंद्र व धनेन्द्र की प्रतिद्वंदता में धनेन्द्र का झंडा ऊंचा फहरा रहा है। बेचारे सतपालेंद्र और हरकेंद्र इस दौड़ में कहीं नहीं है। विश्वविद्यालयों के कॉनवोकेशन में RSS की काली टोपी को उत्तराखंडी टोपी के नाम से पहनाकर अपने नंबर धनेन्द्र ने बढ़ा लिए हैं। भले ही इस ड्रामा में हमारे विश्वविद्यालयों की डिग्री का और अवमूल्यन ही क्यों न हो गया हो।

शाबास धनेन्द्र कॉनवोकेशन गाउन आदि सभी अंग्रेजीयत के रूप में दुनिया भर में पहचाने जाते है, उन्हें भी बदल दो, इसे कहते हैं “खेती बाड़ी चौपट, लहसुन की क्यारी में झोल” पढाई हो न हो जुमलेबाजी होती रहनी चाहिए।

उत्तराखंडी टोपी सर्ज की या हाथ से बुने कपड़े की बनती है, आप अपने काली RSS की टोपी छात्रों को पहना दी। अब RSS का झंडा फहराना और ध्वज गीत भी विश्वविद्यालयों में गाना अनिवार्य कर दो, ताकि हमारे विश्वविद्यालयों की डिग्री की जो थोड़ी कद्र बनी है वह भी समाप्त हो जाए, यदि उत्तराखंडी टोपी से इतना ही प्यार है तो नरेंद्र सिंह नेगी जी द्वारा अक्सर पहनी जाने वाली टोपी क्या बुरी है ? उसे उत्तराखंडी टोपी के रूप में राजकीय मान्यता दो ना ! शायद सतपालेंद्र जी को मेरा यह सुझाव पसंद आ जाए।

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