कोरोना | नई लिस्ट हुई जारी, जानिए उत्तराखंड का कौन सा जिला रेड, ऑरेंज, ग्रीन जोन में है

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कोरोना | नई लिस्ट हुई जारी, जानिए उत्तराखंड का कौन सा जिला रेड, ऑरेंज, ग्रीन जोन में है

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में 3 मई तक लॉकडाउन लागू है। फिलहाल देश के जिलों को तीन ज़ोन (रेड, ऑरेंज और ग्रीन) में बांटा गया है, जिसके आधार पर कोरोना वायरस का खतरा मापा जा रहा है। लेकिन इस बार उनके पैमानों को बदला गया है।


कोरोना | नई लिस्ट हुई जारी, जानिए उत्तराखंड का कौन सा जिला रेड, ऑरेंज, ग्रीन जोन में है

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में 3 मई तक लॉकडाउन लागू है। फिलहाल देश के जिलों को तीन ज़ोन (रेड, ऑरेंज और ग्रीन) में बांटा गया है, जिसके आधार पर कोरोना वायरस का खतरा मापा जा रहा है।

लेकिन इस बार उनके पैमानों को बदला गया है। मंत्रालय ने कोरोना मामलों की संख्या, डबलिंग रेट और परीक्षणों के हिसाब से जिलों की नई सूची तैयार की है। जिसमें बताया गया है कि कौन सा जिला किस जोन में आता है और वहां किस तरह की सख्ती बरती जाएगी। सूची में तीन मई के बाद 130 जिलों को रेड, 284 को ऑरेंज और 319 जिलों को ग्रीन जोन में शामिल किया गया है। सूची के मुताबिक दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, हैदराबाद, बंगलूरू, अहमदाबाद को अब भी रेड जोन में ही रखा है।

उत्तराखंड की बात करें तो हरिद्वार जिला रेड जोन में शामिल है। देहरादून और नैनीताल जिला ऑरेंज जोन में है जबिक अन्य सभी जिले ग्रीन जोन में शामिल है। इसके अलावा महाराष्ट्र के 14, दिल्ली के 11, तमिलनाडु के 12, उत्तर प्रदेश के 19, बंगाल के 10, गुजरात के नौ, मध्य प्रदेश के नौ, राजस्थान के आठ जिले रेड जोन में शामिल हैं।

कोरोना | नई लिस्ट हुई जारी, जानिए उत्तराखंड का कौन सा जिला रेड, ऑरेंज, ग्रीन जोन में है

केंद्रीय गृह सचिव प्रीति सूडान ने कहा, ‘सभी राज्यों से अनुरोध किया जाता है कि वे चिन्हित किए गए रेड और ऑरेंज जोन जिलों में कंटेनमेंट जोन और बफर जोन का परिसीमन करें और उन्हें सूचित करें। किसी जिले को तब ग्रीन जोन माना जाएगा जब वहां पिछले 21 दिनों में कोरोना का कोई भी नया मामला सामने नहीं आएगा।’

सूडान ने कहा, ‘एक या अधिक नगर निगमों वाले, निगमों और जिले के अन्य क्षेत्रों को अलग-अलग इकाइयों के रूप में माना जा सकता है। यदि वे रेड या ऑरेंज जोन में आते हैं, यहां इनमें से एक या अधिक में पिछले 21 दिनों में कोई नया मामला दर्ज नहीं होता तो उन्हें आंचलिक वर्गीकरण में एक स्तर कम माना जा सकता है।’

उन्होंने आगे कहा, ‘बफर जोन में स्वास्थ्य सुविधाओं में आईएलआई/ एसएआरआई मामलों की निगरानी के माध्यम से मामलों की व्यापक निगरानी की जानी चाहिए। राज्यों से अनुरोध किया जाता है कि वे चिन्हित रेड और ऑरेंज जोन जिलों में कंटेनमेंट जोन और बफर जोन का परिसीमन करके उन्हें सूचित करें।’

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