स्टार्ट अप नीति-2016 को मंजूरी, नए उद्योगों का दिल खोलकर स्वागत करेगी सरकार

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स्टार्ट अप नीति-2016 को मंजूरी, नए उद्योगों का दिल खोलकर स्वागत करेगी सरकार

शनिवार को मुख्यमंत्री हरीश रावत की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में महत्वाकांक्षी स्टार्ट अप नीति-2016 को मंजूरी दी गई। नीति का उद्देश्य ऐसे व्यक्तियों को प्रोत्साहित कर वर्ष 2021 तक राज्य में इन्क्यूबेशन एवं स्टार्ट अप क्षेत्र में पूंजी निवेश को आकर्षित करते हुए न्यूनतम 500 करोड़ के पूंजी निवेश पाने का


शनिवार को मुख्यमंत्री हरीश रावत की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में महत्वाकांक्षी स्टार्ट अप नीति-2016 को मंजूरी दी गई। नीति का उद्देश्य ऐसे व्यक्तियों को प्रोत्साहित कर वर्ष 2021 तक राज्य में इन्क्यूबेशन एवं स्टार्ट अप क्षेत्र में पूंजी निवेश को आकर्षित करते हुए न्यूनतम 500 करोड़ के पूंजी निवेश पाने का लक्ष्य रखा गया है। तकनीकी उत्पादों को प्रोत्साहित कर प्रतिष्ठित औद्योगिक संस्थाओं, घरानों जैसे इनफोसिस, विप्रो, टेक म¨हद्रा, टाटा आदि को निवेश के लिए आकर्षित करने पर जोर दिया जाएगा। स्टार्ट अप उद्यमी को प्रयोगशाला, सभागार, शोध एवं विकास प्रयोगशाला, छात्रावास एवं आवास आदि सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके तहत कृषि, स्वास्थ्य, जैव प्रौद्योगिकी, शिक्षा क्षेत्र, ई-कामर्स, पर्यटन, ऊर्जा, परिवहन, सामाजिक उद्यम, विनिर्माणक क्षेत्र, ग्रामीण क्षेत्र, नैनो टेक्नोलॉजी, खाद्य प्रसंस्करण, वस्त्र एवं परिधान, फैशन डिजाइनिंग, आयुर्वेद, पारंपरिक कलाएं, डेयरी उत्पादन, पारंपरिक वस्त्र एवं परिधान, कॉयर, बांस जैसे पारंपरिक क्षेत्रों के उद्यमियों को लाभान्वित किया जाएगा।

स्टार्ट अप प्रस्तावों और उद्यमियों के चयन को गठित राज्य नवोन्मेष परिषद के अध्यक्ष राज्य के एक सेवानिवृत्त मुख्य सचिव होंगे। उपाध्यक्ष सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग के प्रमुख सचिव या सचिव होंगे। निदेशक उद्योग परिषद के सदस्य सचिव होंगे। नीति में एससी, एसटी, महिला उद्यमियों व होस्ट संस्थानों की ओर से विक्रय पट्टे पर पहला लेन-देन का 100 फीसद एवं उसके बाद 50 फीसद की प्रतिपूर्ति सरकार करेगी। स्टार्ट अप को कारखाना अधिनियम, मजदूरी भुगतान एवं श्रम ठेका अधिनियम के तहत निर्धारित प्रारूप पर स्वप्रमाणन की अनुमति दी जाएगी।

  • मंत्रिमंडल ने राज्य के नगर निकायों में मलिन बस्तियों को विनियमित करने को नियमावली बनाने के लिए शहरी विकास मंत्री प्रीतम पंवार की अध्यक्षता में समिति गठित की है। इस समिति में कैबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल, विधायक राजकुमार, नवप्रभात, हीरा सिंह बिष्ट, पूर्व मंत्री तिलक राज बेहड़, हल्द्वानी के हेमेंद्र बगड़वाल, काशीपुर नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष मुकेश मल्होत्रा को सदस्य नामित किया गया है। समिति की रिपोर्ट के आधार पर विनियमितीकरण की नियमावली बनाई जाएगी।
  • मंत्रिमंडल ने राज्य में भवन निर्माण एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण योजना के तहत पंजीकृत श्रमिकों को भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण निधि में प्राप्त होने वाले उपकर की राशि से श्रमिकों के लिए आर्थिक मदद में 25 फीसद वृद्धि का निर्णय लिया गया। इससे श्रमिकों को 60 वर्ष की आयु पूरी होने पर 625 रुपये प्रतिमाह, 65 वर्ष आयु पूरी होने पर 1250 रुपये प्रतिमाह पेंशन, पारिवारिक पेंशन 375 रुपये, मकान की खरीद व निर्माण के लिए अग्रिम ऋण 62500 रुपये, नि:शक्तता पर पर 625 रुपये पेंशन प्रतिमाह, स्थाई रूप से अशक्तता पर 37500 अनुग्रह राशि, कार्य के दौरान दुर्घटना में मृत्यु पर आश्रित को रुपये 12500 रुपये, महिला निर्माण श्रमिक को दो पुत्रियों के विवाह या स्वयं के विवाह पर 62750 रुपये और महिला कामगारों को प्रसूति सुविधा 6250 रुपये मिलेगी। इसके अलावा बच्चों की शिक्षा-दीक्षा के लिए भी आर्थिक मदद का प्रावधान किया गया है।
  • चमोली जिले में पिंडर नदी और रुद्रप्रयाग जिले में मंदाकिनी नदी के आसपास के क्षेत्र के धार्मिक और पर्यटन की दृष्टि से महत्व को देखते हुए पिंडर नदी विशेष क्षेत्र विकास परिषद एवं मंदाकिनी नदी विशेष क्षेत्र विकास परिषद के गठन पर सहमति दी गई। परिषद उक्त दोनों क्षेत्रों में अवस्थापना विकास से संबंधित समस्त योजनाओं, नियोजित किवास को नई योजनाओं और उक्त क्षेत्रों की जन समस्याओं के निराकरण को कार्ययोजना बनाकर शासन को भेजेगी। परिषद का अध्यक्ष या उपाध्यक्ष की नियुक्ति न होने तक संबंधित क्षेत्र से जुड़े जिलाधिकारी पदेन अध्यक्ष होंगे।
  • सिंचाई विभाग के ढांचे के पुनर्गठन को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी। विभाग का मुखिया अब प्रमुख अभियंता होगा। नए ढांचे में यह एक पद बढ़ाया गया है। नए ढांचे में 406 पद घटे हैं। पहले ढांचे में कुल स्वीकृत पदों की संख्या 5914 थी, जो नए ढांचे में 5508 रखी गई है। इसमें श्रेणी-क के पद 142 से घटाकर 138, श्रेणी-दो के पद 440 से बढ़ाकर 441 और श्रेणी-तीन के पद 5332 से घटाकर 4929 किए गए हैं।

 

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