23 अप्रैल को होगी उत्तराखंड के 9 बागी विधायकों की सदस्यता पर सुनवाई

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23 अप्रैल को होगी उत्तराखंड के 9 बागी विधायकों की सदस्यता पर सुनवाई

उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन हटाने के बाद अब सबकी नजर 23 अप्रैल को नैनीताल हाईकोर्ट में बागी विधायकों की सदस्यता पर होने वाली सुनवाई पर टिकी है। 23 अप्रैल को बागी विधायकों की सदस्यता पर फैसला हो सकता है। वहीं आज राष्ट्रपति शासन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बागी


उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन हटाने के बाद अब सबकी नजर 23 अप्रैल को नैनीताल हाईकोर्ट में बागी विधायकों की सदस्यता पर होने वाली सुनवाई पर टिकी है। 23 अप्रैल को बागी विधायकों की सदस्यता पर फैसला हो सकता है। वहीं आज राष्ट्रपति शासन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बागी विधायकों पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि बागी विधायकों ने संवैधानिकक पाप किया है। गौरतलब है कि उत्तराखंड विधानसभा स्पीकर ने बागी विधायकों  दल बदल निरोधी कानून के तहत नोटिस जारी किया था और उनके जबाव से संतुष्ट ना होने पर उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी थी, जिसे बागी विधायकों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

ये है विधानसभा का गणित

बागी विधायकों की सदस्यता रद्द होने के बाद हरीश रावत की राह आसान हो गई है। 71 सीटों वाली विधानसभा में नौ बागी विधायकों की सदस्यता रद्द हो जाती है तो हरीश रावत को ऐसे में 62 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत साबित करना होगा। रावत को बहुमत के लिए 31 विधायकों की आवश्यक्ता होगी। कांग्रेस के पास 28 विधायक हैं और 6 अन्य विधायक भी कांग्रेस को सपोर्ट कर रहे हैं, जो कुल संख्या 34 हो जाती हैं। वहीं भाजपा के पास कुल 27 विधायक हैं, मतलब इस स्थिति में हरीश रावत के लिए बहुमत साबित करना आसान है।

फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगा केन्द्र

उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन हटाने के नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले को केन्द्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। वहीं हाईकोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले के बाद बीजेपी के वरिष्ठ नेता कैलाश विजय वर्गीय ने कहा कि उन्होंने कहा कि हरीश रावत पहले भी अल्पमत में थे और अब भी अल्पमत में हैं। विजय वर्गीय ने कहा कि बीजेपी के पास पर्याप्‍त संख्या में विधायक हैं और समय आने पर हम बहुमत साबित कर उत्तराखंड में सरकार बनाएंगे।

सत्य की विजय हुई

हरीश रावत ने कोर्ट के फैसले को सत्य की जीत बताते हुए कहा कि हम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। साथ ही रावत ने कहा कि हम 2 अप्रैल को उत्तराखंड विधानसभा में बहुमत साबित करने को तैयार हैं। मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए रावत ने कहा कि नैनीताल हाई कोर्ट के फैसले से मोदी सरकार सीख ले। उन्होंने भाजपा पर उत्तराखंड में दलबदल करवाने का भी आरोप लगाया। रावत ने कहा कि राष्ट्रपति शासन लागू होने से उत्तराखंड को गहरा घाव लगा था, लेकिन हाईकोर्ट के फैसले ने इश घाव पर मरहम लगाने का काम किया है। इस दौरान हरीश रावत ने प्रधानमंत्री मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि हम कभी लड़ने की बात नहीं करते, वो बड़े लोग हैं, चौड़े सीने वाले लोग हैं। हम तो सहयोग की बात करते हैं। हरीश रावत ने कहा कि ने कहा पुराने विवादों को भुलाकर केंद्र हमारे साथ मिलकर काम करे।

मोदी सरकार को झटका

उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के मुद्दे पर नैनीताल हाई कोर्ट से मोदी सरकार को बड़ा झटका लगा है। गुरुवार को राष्ट्रपति शासन पर चुनौती देने वाली हरीश रावत की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने उत्तराखंड से राष्ट्रपति शासन हटाने का आदेश दे दिया। हरीश रावत सरकार के अल्पमत में होने की दलील पर केंद्र सरकार ने राज्य में 27 मार्च को उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगा दिया था। वहीं इस मामले पर फैसले से पहले सुनवाई करते हुए केन्द्र सरकार को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने केन्द्र सरकार से पूछा था कि क्या सरकार एक प्राइवेट पार्टी है ?

कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि अगर आप कल राष्ट्रपति शासन हटा देते हैं और सरकार बनाने के लिए किसी और बुलाते हैं तो ये न्याय का मजाक होगा।

29 अप्रैल को साबित करना होगा बहुमत

राज्य से राष्ट्रपति शासन हटने के बाद अब 29 अप्रैल को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट किया जाएगा। कांग्रेस नेता इंदिरा हृयदेश ने हाईकोर्ट के फैसले पर खुशी जताते हुए कहा कि कांग्रेस के पास बहुमत है। उन्होंने इसे न्याय की जीत बताया है। उन्होंने इस फैसले को ऐतिहासिक फैसला बताया है। उन्होंने इसे जनता की जीत और निर्वाचित प्रतिनिधियों की जीत बताया है। (“राष्ट्रपति राजा नहीं है, राष्ट्रपति के फैसले की भी हो सकती है न्यायिक समीक्षा”)

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