उत्तराखंड का एक गांव ऐसा भी, वर्जित है शराब और मांस का सेवन

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उत्तराखंड का एक गांव ऐसा भी, वर्जित है शराब और मांस का सेवन

टिहरी (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो) क्या आप यकीन करेंगे ? देवभूमि उत्तराखंड में आज के समय में एक गांव ऐसा भी है जहां पर शराब पीना और मांस खाना वर्जित है। आप यकीन करें या न करें, लेकिन ये सच है। खास बात ये है कि इस गांव में 100 सालों से ये परंपरा चली आ रहा


उत्तराखंड का एक गांव ऐसा भी, वर्जित है शराब और मांस का सेवन

टिहरी (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो) क्या आप यकीन करेंगे ? देवभूमि उत्तराखंड में आज के समय में एक गांव ऐसा भी है जहां पर शराब पीना और मांस खाना वर्जित है। आप यकीन करें या न करें, लेकिन ये सच है। खास बात ये है कि इस गांव में 100 सालों से ये परंपरा चली आ रहा है।

उत्तराखंड के रहने वाले सुरेश भट्ट अपने फेसबुक पेज पर इस गांव के बारे में लिखते हैं कि दोस्तों रविवार को चाचा के लड़के की सगाई में थत्यूड़ जाना हुआ। थत्यूड़ से लगभग 5 से 7 किलो मीटर आगे एक गांव है, भुयासारी, विकासखंड जौनपुर, टिहरी गढ़वाल है। यहां एक बुजुर्ग मिले जिनका नाम इंद्रदेव नौटियाल उम्र 84 साल।

भट्ट आगे लिखते हैं कि जब उन्होंने उनसे बातचीत की तो, उन्होंने बताया कि उनके गांव में पिछले 100 से भी ज्यादा समय से कोई भी व्यक्ति न शराब पीता है और न ही मांस खाता है। जब उनसे पूछा कि आज तो समय बदल गया शादी बारात में तो चलता ही होगा, तो वह बोले कि सवाल ही नही है, उनके गांव और आस पास के गांव में आज भी लोग इस नियम को मानते है।

उत्तराखंड का एक गांव ऐसा भी, वर्जित है शराब और मांस का सेवनउन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में भगवान शिव की पूजा अलग अलग रूप में होती है। उनके गांव में कोडेश्वर नाम से भगवान शिव का मंदिर है, जो उनके इष्ट देव भी है। इसके अलावा भगवान शेषनाग की भी पूजा की जाती है।

उत्तराखंड का एक गांव ऐसा भी, वर्जित है शराब और मांस का सेवन

नौटियाल जी ने बताया कि उनके यहाँ हर किस्म की खेती होती है। खुद उनके 282 नाली जमीन है, जिसकी चकबंदी उन्हींने खुद की है। यहां के लोग संस्कार और सेवाभाव में सबसे अलग है। नौटियाल जी आज 84 की उम्र है लेकिन कोई बीमारी नही है, आंखे ठीक है और आज भी अपने खेत से लेकर सब काम खुद करते है। इन सबमे ये बात सोचने वाली लगी कि जब आज सब जगह पहाड़ को शराब के नाम पर ही बदनाम किया जा रहा हो, तब ऐसे गांव हम सबको प्रेरणा देते है कि अगर हम स्वयं से ऐसी शुरुआत करें तो शराब के बढ़ते प्रभाव पर अंकुश लगया जा सकता है।

(सुरेश भट्ट के फेसबुक से साभार)

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