कौन बनेगा सियासत का वारिस, देवर-भाभी के बीच छि़ड़ी है जंग

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कौन बनेगा सियासत का वारिस, देवर-भाभी के बीच छि़ड़ी है जंग

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में इस बार एक सीट ऐसी भी है, जहां पर एक ही परिवार के दो लोग आमने-सामने हैं। ये लड़ाई चुनावी लड़ाई से ज्यादा सियासत की विरासत की लड़ाई है। एक ही परिवार के दो सदस्यों में जंग है क्षेत्र की जनता के वोटों की सहारे खुद को सियासत का असली वारिस


उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में इस बार एक सीट ऐसी भी है, जहां पर एक ही परिवार के दो लोग आमने-सामने हैं। ये लड़ाई चुनावी लड़ाई से ज्यादा सियासत की विरासत की लड़ाई है। एक ही परिवार के दो सदस्यों में जंग है क्षेत्र की जनता के वोटों की सहारे खुद को सियासत का असली वारिस घोषित करना।

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जी हां, हरिद्वार जिले की भगवानपुर विधानसभा में इस बार कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है, जहां पर देवर और भाभी के बीच चुनावी जंग है। भाजपा के टिकट से देवर मैदान में हैं तो कांग्रेस के टिकट से भाभी ताल ठोक रही हैं।

दरअसल इस सीट से 2012 के विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर चुनीव जीतने वाले सुरेन्द्र राकेश का निधन हो गया था। जिसके बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ तो उनकी पत्नी ममता राकेश ने कांग्रेस के टिकट पर उपचुनाव लड़ा और जीत हासिल की।

अब जब 2017 का विधानसभा चुनाव सामने है तो राकेश परिवार में सुरेंद्र राकेश की सियासात की विरासत को संभालने के लिए भाभी और देवर आमने – सामने आ गए। सुरेन्द्र राकेश की पत्नी अपने पति की सियासत की विरासत को आगे बढ़ाना चाहती हैं तो सुरेन्द्र राकेश के भाई सुबोध राकेश ने खुद को उनकी सियासत का वारिस बताते हुए इस बार कांग्रेस पार्टी से टिकट मांगा। कांग्रेस ने जब ममता राकेश को टिकट देने की ही बात कही तो सुबोध राकेश ने भाजपा ज्वाइन कर ली और बीजेपी ने उन्हें अपना उम्मीदवार भी बना दिया। जिसके बाद भगवानपुर विधानसभा में कांग्रेस के टिकट से भाभी मैदान में है तो भाजपा के टिकट से देवर ताल ठोक रहे हैं।

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भगवानपुर सीट का सियासि इतिहास उठाकर देखें तो राज्य गठन के बाद से हुए तीन विधानसभा चुनावों में इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी और सुरेन्द्र राकेश का दबदबा रहा है।

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2002 में भगवानपुर विधानसभा सीट पर हुए विधासभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी के चंद्रशेखर ने जीत दर्ज की थी। चंद्रशेखर ने उस वक्त निर्दलीय ताल ठोक रहे सुरेन्द्र राकेश को 3348 मतों से मात दी थी। चेंद्रशेखर को 15875 मत मिले को राकेश को 12827 मत मिले।

कौन बनेगा सियासत का वारिस, देवर-भाभी के बीच छि़ड़ी है जंग

इसके बाद 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में इस सीट पर सुरेन्द्र राकेश ने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। राकेश ने यहां पर भाजपा के चंद्रशेखर को 4133 मतों से हराया। सुरेन्द्र राकेश को 27776 मत मिले तो चंद्रशेखर को 23643 मत मिले।

कौन बनेगा सियासत का वारिस, देवर-भाभी के बीच छि़ड़ी है जंग

वहीं 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर ही मैदान में उतरे सुरेन्द्र राकेश ने एक बार फिर से जीत दर्ज की। राकेश ने इस बार कांग्रेस के सत्यपाल सिंह को 6782 मतों से हराया। सुरेन्द्र राकेश को 36814 मत मिले तो सत्यपाल सिंह को 30032 मत मिले।

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भगवानपुर विधानसभा सीट पर अच्छा खासा जनाधार रखने वाले सुरेन्द्र राकेश की पत्नी ममता राकेश उनके निधन के बाद कांग्रेस के टिकट पर उपचुनाव तो जीत गई लेकिन इस बार ममता राकेश की राह आसान नहीं है। वजह उनके सामने उनके ही देवर सुबोध राकेश का भाजपा के टिकट पर ताल ठोकना है। खास बात ये है कि दोनों ही उम्मीदवार खुद को सुरेन्द्र राकेश की सियासत का असली वारिस बताते हुए जनता से वोट मांग रहे हैं। ऐसे में अब फैसला भगवानपुर की जनता को करना है कि वे किसे सुरेन्द्र राकेश की सियासत का विरासत सौंपते हैं।

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