उत्तराखंड | क्या आपको पता है काफल की ये मार्मिक कहानी ? देखिए वीडियो
हल्द्वानी (उत्तराखंड पोस्ट) देवभूमि उत्तराखंड आने वाले शख्स ने अगर यहां के फलों का स्वाद नहीं लिया, तो समझिए उसने कुछ मिस कर दिया। ऐसा ही एक फल है काफल। कहते हैं कि काफल को अपने ऊपर बेहद नाज भी है और वह खुद को देवताओं के खाने योग्य समझता है। कुमाऊंनी भाषा के एक लोक गीत
हल्द्वानी (उत्तराखंड पोस्ट) देवभूमि उत्तराखंड आने वाले शख्स ने अगर यहां के फलों का स्वाद नहीं लिया, तो समझिए उसने कुछ मिस कर दिया। ऐसा ही एक फल है काफल।
कहते हैं कि काफल को अपने ऊपर बेहद नाज भी है और वह खुद को देवताओं के खाने योग्य समझता है। कुमाऊंनी भाषा के एक लोक गीत में तो काफल अपना दर्द बयान करते हुए कहते हैं, ‘खाणा लायक इंद्र का, हम छियां भूलोक आई पणां’. इसका अर्थ है कि हम स्वर्ग लोक में इंद्र देवता के खाने योग्य थे और अब भू लोक में आ गए।’
काफल की कहानी | कहा जाता है कि उत्तराखंड के एक गांव में एक गरीब महिला रहती थी, जिसकी एक छोटी सी बेटी थी। दोनों एक दूसरे का सहारा थे। आमदनी के लिए उस महिला के पास थोड़ी-सी जमीन के अलावा कुछ नहीं था, जिससे बमुश्किल उनका गुजारा चलता था।
नीचे वीडियो में जानें काफल की मार्मिक कहानी-
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