‘काले कौवा काले, घुघुति माला खा ले’, इसलिए मनाया जाता है “घुघुतिया” त्यौहार

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‘काले कौवा काले, घुघुति माला खा ले’, इसलिए मनाया जाता है “घुघुतिया” त्यौहार

हल्द्वानी (उत्तराखंड पोस्ट) ‘काले कौवा काले घुघुति माला खा ले’..उत्तराखंड के कुमाउं में मकर संक्रान्ति के दिन ये आवाज़ हर घर से आती सुनाई देती है। दरअसल, कुमाउं में मकर सक्रांति पर “घुघुतिया” के नाम से त्यौहार मनाया जाता है। यह त्यौहार विशेष कर बच्चो और कौओ के लिए बना ह। इस त्यौहार के दिन


‘काले कौवा काले, घुघुति माला खा ले’, इसलिए मनाया जाता है “घुघुतिया” त्यौहार

हल्द्वानी (उत्तराखंड पोस्ट) ‘काले कौवा काले घुघुति माला खा ले’..उत्तराखंड के कुमाउं में मकर संक्रान्ति के दिन ये आवाज़ हर घर से आती सुनाई देती है।

दरअसल, कुमाउं में मकर सक्रांति पर “घुघुतिया” के नाम से त्यौहार मनाया जाता है। यह त्यौहार विशेष कर बच्चो और कौओ के लिए बना ह। इस त्यौहार के दिन आटे के घुगूत बनाए जाते हैं। सुबह-सुबह बच्चे  उठकर कौओ को आवाज़ लगाते हैं और कहते है :- ‘काले कौवा काले घुघुति माला खा ले’

भारत के अलग-अलग हिस्सों में यूं तो पशु-पक्षियों से जुड़े कई त्योहार मनाए जाते हैं लेकिन कौओं को खास तरह का व्यंजन खिलाने वाले इस अनोखे त्यौहार घूघूतिया जैसा त्योहार शायद ही कहीं मनाया जाता हो। मकर संक्रान्ति को उत्तराखंड में “उत्तरायणी” के नाम से भी मनाया जाता है और गढ़वाल में इसे “खिचड़ी सक्रांति” के नाम से भी जाना जाता है।

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