पढ़ें – क्या है गणित ? हरीश रावत बहुमत साबित कर पाएंगे या नहीं !

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पढ़ें – क्या है गणित ? हरीश रावत बहुमत साबित कर पाएंगे या नहीं !

सुप्रीम कोर्ट के फ्लोर टेस्ट के आदेश के बाद पहले से ही गर्माई उत्तराखंड की सियासत में उबाल आ गया है। भाजपा और कांग्रेस दोनों खुद को फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार होने का दावा कर रहे हैं। हरीश रावत ने 34 विधायकों के समर्थन का दावा करते हुए फ्लोर टेस्ट पास करने का दावा


पढ़ें – क्या है गणित ? हरीश रावत बहुमत साबित कर पाएंगे या नहीं !सुप्रीम कोर्ट के फ्लोर टेस्ट के आदेश के बाद पहले से ही गर्माई उत्तराखंड की सियासत में उबाल आ गया है। भाजपा और कांग्रेस दोनों खुद को फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार होने का दावा कर रहे हैं। हरीश रावत ने 34 विधायकों के समर्थन का दावा करते हुए फ्लोर टेस्ट पास करने का दावा किया है तो बीजेपी भी अपने गणित में लग गई है।

विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोप लगाने वाली भाजपा और कांग्रेस दोनों को ही अपने –अपने विधायकों को अपने पास बनाए रखने की चुनौती है। दस मई को होने वाले फ्लोर टेस्ट तक अपने विधायकों को एकजुट रखने के लिए दोनों ही दलों के लिए आसान काम नहीं होगा, वो भी ऐसे वक्त में जब सत्ता के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त का खुला खेल होने की चर्चाएं जोर पकड़ रही है। ऐसे में दोनों ही पार्टियों ने अपने-अपने विधायकों की किलेबंदी शुरु कर दी है।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय का कहना है कि कांग्रेस पूरी तरह से फ्लोर टेस्ट को तैयार है। साथ ही उन्होंने दावा किया कि हम बहुमत साबित करेंगे। वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का सम्मान करते हैं और फ्लोर टेस्ट को तैयार हैं। उम्मीद है कि कांग्रेस विधायक अंतरात्मा की आवाज पर फ्लोर टेस्ट में मतदान करेंगे।

ये है विधानसभा का गणित

नौ बागी विधायकों को हटा दिया जाए तो हरीश रावत को 61 सदस्यों की संख्या पर बहुमत साबित करना होगा। कांग्रेस के पास 27 विधायक हैं तो भाजपा के विधायकों की संख्या 28 है। वहीं 6 विधायक पीडीएफ (3 निर्दलीय + 2 बसपा + 1 यूकेडी) के हैं।

61 पर साबित करना होगा बहुमत

बहुमत के लिए चाहिए – 32 विधायक

कांग्रेस – 27 +  6 (3 निर्दलीय + 2 बसपा + 1 यूकेडी) = 33 विधायक

भाजपा – 28 विधायक

अगर यही स्थिति रहती है और फिलहाल हरीश रावत के साथ मजबूती से खड़ी पीडीएफ रावत को शक्ति परीक्षण में साथ देती है तो हरीश रावत सरकार फ्लोर टेस्ट आसानी से पास करती दिखाई दे रही है। लेकिन अगर बीजेपी और कांग्रेस की जोड़-तोड़ कुछ काम कर गई तो क्या होगा, इस पर से तो पर्दा 10 मई को सदन में शक्ति परीक्षण के दौरान ही उठेगा। लेकिन ये मत भूलिएगा राजनीति संभावनाओं का खेल है। यहां ना तो कोई स्थायी दुश्मन होता और ना ही स्थायी दोस्त, ऐसे में आने वाले कुछ दिनों में नए समीकरण बनते दिखे तो चौंकिएगा नहीं।

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