जानिए किशोर उपाध्याय को क्यों नहीं मिली उनकी पसंद की सीट ?

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जानिए किशोर उपाध्याय को क्यों नहीं मिली उनकी पसंद की सीट ?

टिकट बंटवारे में किसी तरह के मतभेद की बात से भले ही मुख्यमंत्री हरीश रावत औऱ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय भले ही इंकार कर रहे हों लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को ही उनकी पसंद की सीट न मिलना कुछ और ही कहानी बयां कर रहा है। अब ख़बरें एक क्लिक पर इस


टिकट बंटवारे में किसी तरह के मतभेद की बात से भले ही मुख्यमंत्री हरीश रावत औऱ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय भले ही इंकार कर रहे हों लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को ही उनकी पसंद की सीट न मिलना कुछ और ही कहानी बयां कर रहा है।

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कांग्रेस की पहली सूची में किशोर उपाध्याय का नाम सहसपुर विधानसभा सीट में है जबकि ये बात किसी से छिपी नहीं है कि किशोर अपनी पारंपरिक सीट टिहरी विधानसभा से ही चुनाव लड़ना चाहते थे जहां से वे दो बार विधायक रह चुके हैं।

2002 में किशोर उपाध्याय टिहरी सीट पर जीतकर आए थे। उन्होंने अपनी विरोधी भाजपा के रतन सिंह गुनसोला को 3928 मतों से हराया था।

जानिए किशोर उपाध्याय को क्यों नहीं मिली उनकी पसंद की सीट ?

2007 में भी किशोर उपाध्याय इस सीट से विधायक बने थे और उन्होंने भाजपा के खीम सिंह चौहान को 3198 वोटों से मात दी थी।

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हालांकि 2012 के विधानसभा चुनाव में किशोर इस सीट से मामूली अंतर से चुनाव हार गए थे। उन्हें निर्दलीय दिनेश धनै ने मात्र 377 मतों से हराया था।

जानिए किशोर उपाध्याय को क्यों नहीं मिली उनकी पसंद की सीट ?

लेकिन टिहरी सीट से दो बार के विधायक रहे किशोर को ही जिस तरह उनकी पसंद की सीट टिहरी विधानसभा नहीं मिली, वो बताने के लिए काफी है कि किशोर जब आलाकमान से अपनी सीट नहीं ला पाए तो बाकी सीटों पर उनकी बात को कितना सुना गया होगा। किशोर को ऐसी सहसपुर विधानसभा से मैदान में उतारा गया है जहां पर अब तक हुए तीन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सिर्फ एक ही बार 2002 में जीत पाई है। सहसपुर में पिछले दो चुनाव से लगातार बीजेपी जीतती आ रही है।

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दरअसल टिहरी विधानसभा से 2012 में किशोर को मात देने वाले दिनेश धनै पीडीएफ का हिस्सा हैं और पीडीएफ ने हरीश रावत सरकार का संकट के वक्त साथ दिया था, ऐसे में मुख्यमंत्री चुनाव में भी पीडीएफ को साथ रखने की बात कहते रहे हैं। जिसका किशोर शुरु से विरोध करते रहे हैं। यही दोनों के बीच कई बार रार की वजह भी बनी।

किशोर टिहरी से चुनाव लड़ना चाहते थे और दिनेश धनै टिहरी सीट छोड़ने को तैयार नहीं थे यही किशोर और धनै के बीच भी तकरार की वजह कई बार बनी। इसी वजह से किशोर हर बार पीडीएफ के साथ चुनाव लड़ने के सवाल पर कहते रहे कि कांग्रेस सभी 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी।

अब जब किशोर का नाम सहसपुर विधानसभा सीट के लिए घोषित हो चुका है और टिहरी पर उम्मीदवार की घोषणा नहीं हुई है तो  ईशारा करता है कि टिहरी से धनै भी कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि धनै पहले इस सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं, लेकिन माना जा रहा है कि कांग्रेस की दूसरी सूची मे टिहरी से धनै का ही नाम होगा।

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