उत्तराखंड | अंतिम यात्रा पर निकले वीर जवान, अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
पिथौरागढ़ (उत्तराखंड पोस्ट) जब बात देश के लिए जान देने की आती है तो उत्तराखंड के लाल कभी पीछे नहीं रहे हैं। सेना में उत्तराखंड के युवाओं की भागीदारी बयां करती है कि भारत मां की रक्षा के लिए वे हमेशा आगे रहे हैं। उत्तराखंड के वीर जवानों की ऐसी अनेक शौर्य गाथाएं है जो
पिथौरागढ़ (उत्तराखंड पोस्ट) जब बात देश के लिए जान देने की आती है तो उत्तराखंड के लाल कभी पीछे नहीं रहे हैं। सेना में उत्तराखंड के युवाओं की भागीदारी बयां करती है कि भारत मां की रक्षा के लिए वे हमेशा आगे रहे हैं।
उत्तराखंड के वीर जवानों की ऐसी अनेक शौर्य गाथाएं है जो आपके अंदर जोश और गर्व का भाव पैदा करेंगी। ये शौर्य गाथाएं जितना गर्व का एहसास कराती हैं, वीर जवानों की शहादत पर उतनी ही दुख भी देती हैं।
एक बार फिर उत्तराखंड के दो जवानों की शहादत की खबर से पूरा उत्तराखंड दर्द में है। पिथौरागाढ़ जिले के दो वीर जवान जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में पाकिस्तानी सेना की गोलीबारी का मुंहतोड़ जवाब देते हुए शहीद हो गए।
पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट के 21 कुमाऊं रेजीमेंट में तैनात गंगोलीहाट ब्लॉक के नाली गांव निवासी शहीद नायक शंकर सिंह की उम्र सिर्फ 31 साल थी। वहीं मुनस्यारी ब्लॉक के नापड़ गांव निवासी गोकर्ण सिंह भी सिर्फ 41 साल के थे। इस गोलाबारी में पिथौरागढ़ के नायक प्रदीप कुमार और बागेश्वर जिले के नारायण सिंह घायल भी हुए है।
शहीद शंकर सिंह और गोकर्ण सिंह के शहादत की खबर के बाद से ही उनके गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। शहीद के परिजनों का रो रोकर बुरा हाल है।
शहीद शंकर सिंह महरा की मां अपने बेटे की शहादत की खबर मिलने के बाद से ही बदहवास है। बताया जा रहा है कि जवान शंकर सिंह रोज अफनी मां जानकी देवी और पत्नी इंद्रा से बात करते थे। शुक्रवार को भी शंकर ने अपनी मां से बात कि तो उन्होंने बताया कि इन दिनों सीमा पर गोलीबारी की घटनाएं बढ़ गई है।
फिर बात करते-करते उन्होंने कहा कि मां फायरिंग शुरू हो गई है बाद में फोन करूंगा। इसके बाद फोन कट गया। इस फायरिंग में शंकर सिंह बुरी तरह घायल हो गए औऱ बाद में इलाज के दौरान वे शहीद हो गए।
शंकर सिंह की शहादत की खबर मां को शुक्रवार को नहीं दी गई लेकिन शनिवार सुबह जब गांव के लोग वहां पहुंचने लगे तो उन्हें कुछ अनहोनी की आशंका हुई। जिसके बाद बेटे की शहादत की खबर सुनने के बाद से ही उनका बुरा हाल है।
जवान शंकर सिंह महज 31 साल के थे और उनका जन्म पांच जनवरी 1989 को हुआ था। 23 मार्च 2010 को सेना की 21 कुमाऊं में भर्ती हुए थे। शंकर सिंह के छोटे भाई नवीन सिंह सात कुमाऊं में जम्मू-कश्मीर में तैनात हैं। शंकर का सात वर्ष पूर्व उनका विवाह इंद्रा के साथ हुआ था औऱ उनका छह साल का बेटा हर्षित है।
शहीद जवान का मासूम बेटा हर्षित अपने पिता की शहादत से अंजान है। उसे यह भी पता नहीं कि अब उसके सिर पर पिता का साया नहीं रहा।
रविवार को जब शहीद शंकर सिंह औऱ गोकर्ण सिंह का पार्थिव शरीर उनके गांव पहुंचा तो पूरा इलाका भारत माता की जय औऱ शहीद शंकर सिंह अमर रहे, शहीद गोकर्ण सिंह के नारों से गूंज उठा। हर कोई शहीद जवान की एक झलक देख लेना चाहता था। परिजनों और लोगों के अंतिम दर्शन के बाद पूरे सैन्य सम्मान के साथ दोनों जवान को अंतिम विदाई दी गई।
शहीद के माता पिता को अपने बेटे की शहादत पर गर्व तो है लेकिन अपने कलेजे के टुकड़े को खोने का गम भी उनके चेहरे पर साफ पढ़ा जा सकता है। उत्तराखंड पोस्ट परिवार शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करता है और भगवना से प्रार्थना करता है उनके परिजनों को इस असीम दुख को सहने की हिम्मत प्रदान करे। जय हिंद
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