मिसाल | शहीद का पार्थिव शरीर आने से पहले परिवार ने निभाया फर्ज

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मिसाल | शहीद का पार्थिव शरीर आने से पहले परिवार ने निभाया फर्ज

बेटे ने देश के लिए जान कुर्बान कर अपना फर्ज निभाया तो परिवार ने लोकतंत्र के महापर्व में अपने कर्तव्य को निभाया। ऐसी मिसाल शायद ही कहीं देखने को मिले। हम बात कर रहे हैं देवभूमि के सपूत शहीद धर्मेंद्र कुमार और उनके परिवार की। अब ख़बरें एक क्लिक पर इस लिंक पर क्लिक कर Download


मिसाल | शहीद का पार्थिव शरीर आने से पहले परिवार ने निभाया फर्ज

बेटे ने देश के लिए जान कुर्बान कर अपना फर्ज निभाया तो परिवार ने लोकतंत्र के महापर्व में अपने कर्तव्य को निभाया। ऐसी मिसाल शायद ही कहीं देखने को मिले। हम बात कर रहे हैं देवभूमि के सपूत शहीद धर्मेंद्र कुमार और उनके परिवार की। अब ख़बरें एक क्लिक पर इस लिंक पर क्लिक कर Download करें Mobile App –https://play.google.com/store/apps/details?id=app.uttarakhandpost

मंगलवार को सीमा पर आतंकियों से लोहा लेते हुए नैनीताल जिले के कालाढूंगी के रहने वाले जवान धर्मेंद्र शहीद हो गए थे। बेटे के शहीद होने की खबर से पूरी परिवार सदमे में था। पथराई आंखें बेटे के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन का इंतजार कर रही थी। इसके बाद भी शहीद धर्मेंद्र के पिता ने लोकतंत्र के महापर्व में अपना कर्तव्य निभाने का फैसला लिया।

दोपहर में पूरे परिवार ने बेटे की देह आने से पहले लोकतंत्र के महापर्व में शामिल होने का निर्णय लिया। फिर क्या था, परिवार के इस फैसले ने पूरे क्षेत्र में हलचल पैदा कर दी। परिवार के साथ ही दर्जनों लोग भी राजकीय कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय, पतलिया में बने मतदान केंद्र की ओर रुख कर लिया। केंद्र पर पहुंचकर शहीद के पिता मोहन लाल साह, बड़ा भाई पवन कुमार व छोटा भाई दीपक कुमार, चाचा भजन लाल साह व चुन्नी लाल साह व चचेरे भाई कपिल साह, निकित साह और कन्हैया लाल साह ने मतदान किया। लोकतंत्र के लिए शहीद के परिवार के इस कदम के बारे में जिसे पता लगा, उसने फैसले की दिल से सराहना की।

नैनीताल जिले के कोटा ब्लाक के ग्राम पतलिया निवासी धर्मेंद्र कुमार साह (26 वर्ष) पुत्र मोहन लाल साह 29 पैरा एसएफ (स्पेशल फोर्स) में कमांडो थे। वर्तमान में वह 31आरआर(पैरा एसएफ) में जम्मू-कश्मीर में तैनात थे। जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा जिले के पर्रे मोहल्ला, हाजिन में आतंकियों से लोहा लेते समय पैरा कमांडो धर्मेंद्र शहीद हो गए। सीने में गोलियां खाकर धर्मेंद्र ने एक आतंकी को मार गिराया।

पिता मोहन लाल साह ने बताया कि धर्मेंद्र तीन भाइयों में मझला(बीच) था। धर्मेंद्र का बड़ा भाई पवन कुमार व छोटा भाई दीपक कुमार खेती-बाड़ी करते हैं। पिता ने बताया कि धर्मेंद्र को बचपन से ही सेना में कमांडो बनने की धुन थी। हाईस्कूल में पहुंचते ही उसने सेना के लिए तैयारी शुरू कर दी थी। अभी किसी भी बेटे की शादी नहीं हुई है। गर्मियों में कमांडो व बड़े बेटे पवन की एक साथ शादी का विचार परिवार में चल रहा था।

सैन्य अफसरों के मुताबिक कमांडो धर्मेंद्र कुमार सिंह का पार्थिव शरीर एयर फोर्स के एएन-32 प्लेन से शाम छह बजे जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर से बरेली पहुंच गया है। गुरुवार सुबह साढ़े आठ बजे एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर से बरेली से कोटाबाग के राजकीय इंटर कालेज तक कमांडो का पार्थिव शरीर लाया जाएगा। यहां से सेना के वाहन से शव घर पहुंचेगा।

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