…तो दो से अधिक बच्चों वालों से छिनेगी सरकारी सुविधाएं, हो रही है ये तैयारी !

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…तो दो से अधिक बच्चों वालों से छिनेगी सरकारी सुविधाएं, हो रही है ये तैयारी !

नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट) भाजपा शासित राज्यों में दो से अधिक बच्चों वाले व्यक्तियों को धीरे-धीरे सभी सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित होना पड़ सकता है। अमर उजाला की खबर के मुताबिक असम की तर्ज पर पार्टीशासित अन्य राज्य भी चरणबद्घ तरीके से अपने यहां निश्चित तारीख के बाद दो से अधिक बच्चों वाले


…तो दो से अधिक बच्चों वालों से छिनेगी सरकारी सुविधाएं, हो रही है ये तैयारी !

नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट) भाजपा शासित राज्यों में दो से अधिक बच्चों वाले व्यक्तियों को धीरे-धीरे सभी सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित होना पड़ सकता है।

अमर उजाला की खबर के मुताबिक असम की तर्ज पर पार्टीशासित अन्य राज्य भी चरणबद्घ तरीके से अपने यहां निश्चित तारीख के बाद दो से अधिक बच्चों वाले व्यक्तियों के साथ सख्ती बरतेगी। इस कड़ी में असम सरकार ने सबसे पहले 1 जनवरी 2021 के बाद दो से अधिक बच्चों के माता-पिता को सरकारी नौकरी नहीं देने का फैसला किया है।

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक असम से एक शुरुआत हुई है। इसमें भविष्य में चरणबद्घ तरीके से पार्टी के कई राज्य जुड़ेंगे और अपने अपने यहां इससे मिलती जुलती नीति बनाएंगे। विभिन्न राज्य ऐसे मामलों में पहले सरकारी सेवा से वंचित करने के बाद दो से अधिक बच्चों के माता-पिता को सरकारी योजनाओं के लाभ से भी वंचित करेंगे।

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पार्टी शासित राज्यों द्वारा जनसंख्या नियंत्रण पर लगाम की दिशा में इस तरह के फैसला करने के बाद केंद्रीय स्तर पर नई जनसंख्या नीति लागू करने पर उच्चस्तरीय विमर्श होगा। चूंकि वर्तमान में देश के ज्यादातर राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं। ऐसे में इस फैसले से बढ़ती जनसंख्या पर नकेल डालने में आसानी होगी।

दरअसल पीएम मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से बढ़ती जनसंख्या पर चिंता जताते हुए दो बच्चों वाले परिवार को देशभक्त कहा था। तब कयास लगाए जा रहे थे कि सरकार संभवत: निकट भविष्य में नई जनसंख्या नीति लागू करेगी। सूत्रों ने कहा कि इस पर सरकार और पार्टी में गहन मंथन हुआ।

तय हुआ कि सीधे नई जनसंख्या नीति लागू करने के बदले पार्टी शासित राज्य अधिक बच्चा पैदा करने वालों को हतोत्साहित करने का फार्मूला तैयार करें। इसी के मद्देनजर सबसे पहले असम ने इस संदर्भ में फैसला लिया। पार्टी के रणनीतिकारों को लगता है कि वर्तमान परिदृश्य में इस तरह के फैसले से विपक्ष शासित राज्य और केंद्रीय राजनीति में विपक्ष भी दबाव में आएगा।

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