गैरसैंण पर वोट सबको चाहिए, लेकिन स्थायी राजधानी नहीं बनाएंगे !

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गैरसैंण पर वोट सबको चाहिए, लेकिन स्थायी राजधानी नहीं बनाएंगे !

स्थाई राजधानी के सवाल की हालत उत्तराखंड राज्य के लिए पहाड़ों मेे स्वास्थ्य और शिक्षा की तरह ही गंभीर हो गया है। जैसे बीते 16 सालों में कोई भी सरकार सूबे के पहाड़ी क्षेत्र में सरकारी शिक्षा और सरकारी चिकित्सा सहूलियतो को नहीं पहुंचा पाई है वैसे ही स्थाई राजधानी का सवाल भी सूबे की सत्ता पर


स्थाई  राजधानी के सवाल की हालत उत्तराखंड राज्य के लिए पहाड़ों मेे स्वास्थ्य और शिक्षा की तरह ही गंभीर हो गया है।

जैसे बीते 16 सालों में कोई भी सरकार सूबे के पहाड़ी क्षेत्र में सरकारी शिक्षा और सरकारी चिकित्सा सहूलियतो को नहीं पहुंचा पाई है वैसे ही स्थाई राजधानी का सवाल भी सूबे की सत्ता पर काबिज होने वालों के लिए यक्ष प्रश्न बन गया है। जिसका जवाब उनके पास नहीं है। पहले सूबे के मुख्यमंत्री बयान चुके हैं कि राजधानी के नाम पर वे प्रदेश को नहीं बटने देंगे।

अब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कह रहे हैं कि स्थाई राजधानी को उलझाने का काम भाजपा ने  किया है। हाल ये है कि टिहरी सीट के लिए अब तक रार करने वाले किशोर भी सवाल करते हैं कि राजधानी को बनाने के लिए 10 हजार करोड़ रूपया कहां से आएगा। किशोर कहते हैं यदि सत्र से पहले केंद्र सरकार इस मामले पर आगे आती है तो वे न सिर्फ केंद्र सरकार को धन्यवाद देंगे बल्कि ये आम जनता की जनभावनाओं का आदर भी होगा।

गैरसैंण मे आयोजित होने वाले सत्र के बहिष्कार के मुद्दे पर किशोर कहते हैं भाजपा कर्तव्य से पलायन कर रही है। भाजपा के पास बहिष्कार के अलावा कोई मुद्दा नहीं है। उन्होंने भाजपा को रास्ता बताते हुए कहा कि होना ये चाहिए कि भाजपा सत्र में आगे आएं और अपनी बात सामने रखें। बहरहाल मतलब साफ है स्थाई राजधानी का सवाल सियासत के गलियारे में अब अछूत सा समझा जाने लगा।

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