जानिए इन 16 विधानसभा सीटों पर आखिर क्यों हो सकता है उलटफेर !

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जानिए इन 16 विधानसभा सीटों पर आखिर क्यों हो सकता है उलटफेर !

उत्तराखंड में विधानसभा की 70 में से 69 सीटों के लिए 15 फरवरी को हुए मतदान के बाद से ही हर किसी को बेसब्री से नतीजों का इंतजार है। इस चुनाव में पिछले चुनाव की अपेक्षा मतदान प्रतिशत में कमी जरुर आई लेकिन 69 विधानसभा सीटों में से 16 सीटों पर 2012 के मुकाबले मतदान


उत्तराखंड में विधानसभा की 70 में से 69 सीटों के लिए 15 फरवरी को हुए मतदान के बाद से ही हर किसी को बेसब्री से नतीजों का इंतजार है। इस चुनाव में पिछले चुनाव की अपेक्षा मतदान प्रतिशत में कमी जरुर आई लेकिन 69 विधानसभा सीटों में से 16 सीटों पर 2012 के मुकाबले मतदान प्रतिशत में इजाफा हुआ है।  अब ख़बरें एक क्लिक पर इस लिंक पर क्लिक कर Download करें Mobile App –https://play.google.com/store/apps/details?id=app.uttarakhandpost

इन 16 सीटों में मतदान के बढ़े हुए प्रतिशत से किसको फायदा होगा इसके गणित पर इन सीटों पर पार्टियों और उम्मीदवारों का गुणा-भाग जारी है। इन 16 सीटों में से सात गढ़वाल और नौ कुमाऊं से हैं। इनमें 11 सीटें मैदानी और 5 सीटें पर्वतीय क्षेत्र की हैं।

 

भाजपा-कांग्रेस के पास बराबर सीटें | खास बात ये है कि इन 16 सीटों में से 2012 में सात-सात सीटों पर कांग्रेस और भाजपा ने और दो पर बसपा ने जीत दर्ज की थी। वहीं उप चुनाव में एक सीट पर कांग्रेस ने बसपा को हराकर जीत दर्ज की।

हरीश रावत की सीट भी इसमें शामिल | खास बात ये है कि इन 16 सीटों में से अधिकां पर प्रत्याशी दूसरे दलों के खेमे में हैं या बगावत की स्थिति में हैं। इनमें से एक सीट पर मुख्यमंत्री हरीश रावत खुद मैदान में हैं।

गढ़वाल मंडल की इन सीटों पर बढ़ा मतदान प्रतिशत | केदारनाथ सीट पर जीतने वाली कांग्रेस की शैलारानी रावत अब भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं। बीएचईएल रानीपुर सीट से भाजपा के आदेश चौहान जीते थे और अब वे ही मैदान में हैं। ज्वालापुर सीट पर भाजपा ने मौजूदा विधायक के बजाय सुरेश राठौर को मैदान में उतारा है, हालांकि विधायक चंद्रेशेखर ने बगावत नहीं की। भगवानपुर सीट 2012 में बसपा के सुरेंद्र राकेश के पास थी, उप चुनाव में उनकी पत्नी ममता राकेश ने कांग्रेस के निशान पर यहां जीत दर्ज की। अब उनके देवर सुबोध राकेश भाजपा से उनके सामने हैं। झबरेड़ा सीट बसपा के हरिदास के पास थी, वे अब कांगेस में शामिल हो गए हैं। हालांकि, कांग्रेस ने उन पर दांव नहीं खेला। पिरान कलियर से कांग्रेस के विधायक फुरकान ही मैदान में हैं, लेकिन बसपा से निष्कासित शहजाद उनकी परेशानी बढ़ा रहे हैं। हरिद्वार ग्र्रामीण सीट पर भाजपा से स्वामी यतीश्वरानंद विधायक हैं और इस बार उनका मुकाबला मुख्यमंत्री हरीश रावत से है।

कुमाऊं मंडल की इन सीटों पर बढ़ा मतदान प्रतिशत | की बात करें तो यहां कपकोट सीट पर मतदान में इजाफा हुआ है। अभी तक यह सीट कांग्रेस के पास है। काशीपुर, नानकमत्ता, खटीमा और लोहाघाट सीट भाजपा, चंपावत, नैनीताल और जसपुर सीट कांग्रेस के पास हैं। सितारगंज सीट से कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा 2012 में जीते थे। अब वे भाजपा में हैं और उनके पुत्र सौरभ इस सीट से भाजपा के प्रत्याशी हैं।

इन सीटों पर सभी प्रत्याशी बढ़े हुए मतदान प्रतिशत को अपने हक में होने का दावा कर रहे हैं। वहीं पार्टियों की बात करें तो कांग्रेस का कहना है कि इन सीटों पर सरकार द्वारा किए गए विकास के नाम पर मतदान हुआ है जबकि भाजपा का दावा है कि एंटी इनकंबेंसी के चलते मतदान प्रतिशत बढ़ा है औऱ उसका फायदा भाजपा उम्मीदवारों को मिलेगा।

बहरहाल दावा करने में क्या जाता है, फैसला इन सीटों की जनता ईवीएम में 15 फरवरी को बंद कर ही चुकी है। 11 मार्च को चुनावी नतीजों के साथ साफ हो जाएगा कि किसके दावों में कितना दम है।

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