अब तो जागो सरकार, कांग्रेस सांसद ने ही खोली गांवों के विकास की पोल

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अब तो जागो सरकार, कांग्रेस सांसद ने ही खोली गांवों के विकास की पोल

गांवों के विकास के दावे को हरीश रावत सरकार खूब करती है लेकिन उत्तराखंड के सुदूर गांवों में क्या हालात है इसका अंदाजा तक शायद शासन-प्रशासन को नहीं है। उत्तराखंड से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और मुख्यमंत्री हरीश रावत के खास माने जाने वाले प्रदीप टम्टा ने गुरुवार को उत्तरकाशी के सुदूरवर्ती गांवों का दौरा


गांवों के विकास के दावे को हरीश रावत सरकार खूब करती है लेकिन उत्तराखंड के सुदूर गांवों में क्या हालात है इसका अंदाजा तक शायद शासन-प्रशासन को नहीं है। उत्तराखंड से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और मुख्यमंत्री हरीश रावत के खास माने जाने वाले प्रदीप टम्टा ने गुरुवार को उत्तरकाशी के सुदूरवर्ती गांवों का दौरा के बाद जो तस्वीर सामने रखी है उसे जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। विपक्ष की बातों को राजनीति बताकर मुख्यमंत्री एक बार को पल्ला झाड़ सकते हैं लेकिन अपने ही सांसद वो भी खास प्रदीप टम्टा की आंखों-देखी तस्वीर को शायद रावत नहीं नकार पाएंगे

पैदल रास्ते तक सही नहीं | उत्तरकाशी के सर बडियार का दौरा कर लौटे राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा ने बताया कि सर बडियार को जाने के लिए पैदल रास्ते तक सही नहीं हैं। सड़क और संचार का सम्पर्क सर बडियार से तो दूर की बात हैं। आजादी से लेकर अभी तक का यह पहला मौका है जब कोई राज्यसभा सांसद सर बडियार क्षेत्र की समस्याओं को जानने के लिए गया है। पुरोला तहसील की पट्टी सर बडियार क्षेत्र के सर, पौंटी, डिंगाड़ी, लेवटाड़ी, छानिका, गोल, किमडार, कस्लौं गांव पड़ते हैं। सर बडियार जाने के लिए बड़कोट से सरनौल तक 40 किलोमीटर कच्ची सड़क है। सरनौल के निकट गंगराली से पैदल रास्ता सर बडियार के लिए शुरू होता है। रास्ता भी बेहद ही खराब स्थिति में है। बीती 14 जुलाई को इसी रास्ते से होकर राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा सर बडियार के गांवों में पहुंचे।

वोट भी नहीं चाहिए |   प्रदीप टम्टा ने कहा कि सर बडियार में मूलभूत सुविधाओं को घोर अकाल है। लोग अभी भी विपरीत हालतों में जीवन जीने को मजबूर हैं। सड़क और संचार सम्पर्क न होने के कारण कोई विधायक और सांसद के चुनाव में प्रत्याशी यहां वोट मांगने भी नहीं जाते हैं। उन्होंने कहा कि अगर सर बडियार के किसी गांव में कोई आपदा आ गई तो जिले से सम्पर्क करने का कोई भी माध्यम नहीं है। इतनी मुश्किल में लोग रह रहे हैं।

आज भी सड़का इंतजार | राज्यसभा सांसद ने कहा कि सड़क का इंतजार सर बडियार के ग्रामीण पिछले आठ सालों से कर रहे हैं, लेकिन अभी तक सड़क एक इंच आगे नहीं बढ़ी है। जिला प्रशासन को इसका आकलन करना चाहिए। जो गुस्सा ग्रामीणों के चेहरों पर दिखता है वह गुस्सा वाजिब है।  सांसद ने बताय़ा कि सर बडियार के लिए उन्हें अंतिम गांव सर तक सम्पर्क मार्ग सही नहीं मिला। रास्ते में पड़ने वाले गाड गदेरों (बरसाती नाले) पर पुल नहीं मिले। गांव तक पहुंचने के लिए पहाड़ियों पर चढ़ना पड़ा। प्रदीप टम्टा ने नौगांव में अधिकारियों की बैठक में कहा कि सड़क जब तक नहीं बनती है तब तक पैदल रास्तों को तो सही बना लो। इसके लिए तो कहीं से अनुमति नहीं लेनी पड़ेगी।

स्कूलों में शिक्षक नहीं | राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा बताया कि सर बडियार के आठ गांवों में किसी भी गांव में शिक्षा की सही व्यवस्था नहीं है। स्कूलों में शिक्षक नहीं मिले। सर गांव में प्राथमिक विद्यालय का भवन तीन साल से टूटा हुआ है। बच्चों का शैक्षिक स्तर शून्य है। ऐसे में इन बच्चों का भविष्य कैसे उज्ज्वल होगा।

गांव में शौचालय नहीं | सर बडियार के आठ गांवों की आबादी 3500 के करीब है। इन आठ गांवों में 800 परिवार है लेकिन, एक भी परिवार के पास शौचालय नहीं है। राज्यसभा सांसद कहते हैं कि एक भी गांव में शौचालय नहीं मिला है। वहीं किसी भी स्कूल में शौचालय नहीं है।

मुख्यमंत्री से करेंगे बात | टम्टा ने कहा कि जिस उम्मीद से सर बडियार के लोगों ने उन्हें अपनी समस्याएं बताई। उस उम्मीद को वे पूरा करने के लिए पूरा प्रयास करेंगे। इन समस्याओं के बारे में सबसे पहले वे मुख्यमंत्री हरीश रावत को अवगत कराएंगे। जिससे शासन भी सर बडियार की समस्याओं को गंभीरता से ले।

बहरहाल देखन ये होगा कि गांव के विकास का दम भरने वाली हरीश रावत सरकार क्या सर बडियार जैसे गांवों की तस्वीर बदलने के लिए कितनी गंभीरता दिखाती है।

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