देवभूमि को लगी किसकी नजर, क्यों सुबह से उत्तराखंड की सलामती की दुआ मांग रहे हैं लोग ?
पौड़ी/पिथौरागढ़ (उत्तराखंड पोस्ट) कोरोना संकट के बीच उत्तराखंड में भीषण गर्मी में कई इलाकों में जंगल धधकने का खतरा बढ़ने लगा है। वनों की आग से जहां बेशकीमती वन संपदा नष्ट होती है, वहीं वन्य जीवों पर भी बड़ा खतरा मंडराने लगता है। बुधवार दोपहर सभी का ध्यान इस ओर उस वक्त गया जब ट्विटर
पौड़ी/पिथौरागढ़ (उत्तराखंड पोस्ट) कोरोना संकट के बीच उत्तराखंड में भीषण गर्मी में कई इलाकों में जंगल धधकने का खतरा बढ़ने लगा है। वनों की आग से जहां बेशकीमती वन संपदा नष्ट होती है, वहीं वन्य जीवों पर भी बड़ा खतरा मंडराने लगता है।
बुधवार दोपहर सभी का ध्यान इस ओर उस वक्त गया जब ट्विटर पर #PrayForUttarakhand और #SaveTheHimalayas ट्रेंड करने लगा। वनएं वन्य जीव प्रेमी लगातार वनों की आग के मुद्दे पर ट्वीट कर रहे हैं और कोरोना संकट में इस ओर गंभीरता से ध्यान देने की बात कर रहे हैं। कई प्रकृति प्रेमी मीडिया पर इस अति गंभीर मुद्दे की अनदेखी करने का भी आरोप लगा रहे हैं।
आपको बता दें कि तेज गर्मी और धूप के कारण उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों के जंगलों में आग लग जाती है। तेज हवा के कारण आग काफी तेजी से फैलती है। तेज धूप के चलते जंगल में घास और लकड़ियां भी सूखी हुई हैं, जिससे आग काफी तेजी से फैलती है।
शनिवार को पौड़ी-गढ़वाल जिले के श्रीनगर इलाके में स्थित जंगलों में भीषण आग गई थी, इसके बाद पिथौरागढ़ जिले के डीडीहाट रेंज के हनिया में आग से दो हेक्टेयर जंगल जलकर खाक हो गया। सूचना मिलने पर पहुंची वन विभाग की टीम को आग बुझाने में खासी मशक्कत करनी पड़ी। पिथौरागढ़ जिले में अब तक 12.30 हेक्टेयर जंगल आग की भेंट चढ़ चुके हैं।
15 फरवरी से 25 मई तक जिले में आग लगने की आठ घटनाएं हो चुकी है। जिनमें 12.30 हेक्टेयर जंगल जलकर खाक हो चुका है। इस वर्ष मध्य मई तक बारिश के चलते जंगलों में काफी नमी बनी हुई थी, जिससे जंगल आग से बचे हुए थे। इधर एक सप्ताह से बारिश का क्रम थम गया है, जिससे जंगल आग की चपेट में आने लगे हैं।
15 फरवरी से शुरू हुआ फायर सीजन 15 जून को खत्म होगा। अगले दो तीन दिनों में बारिश नहीं होने की स्थिति में जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ने का अंदेशा है।
पिछले साल जल गया 2104 हेक्टेयर जंगल | पिछले साल वनों की आग में उत्तराखंड के दो हजार हेक्टेयर से ज्यादा जंगल राख में मिल गया था। वहीं वर्ष 2016 में उत्तराखंड में 4,538.21 हेक्टेयर जंगल आग की भेंट चढ़ गया था।
जंगल में लगी आग की तबाही कोई नई बात नहीं है। सन 2000 में जब से उत्तराखंड बना है 44,518 हेक्टेयर जंगल आग में झुलस चुका है। इसके बावजूद आग बुझाने के उपाय नाकाफी साबित हुए हैं।
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