मसूरी प्रॉपर्टी विवाद में सचिन की सफाई- मेरा कोई इकोनॉमिक इंटरेस्ट नहीं
भारत रत्न और पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंडुलकर ने मसूरी के एक बंगले में अवैध निर्माण के मामले में विवादों में आने के बाद अपनी सफाई दी है। उन्होंने कहा कि उस प्रॉपर्टी में उनका कोई इंटरेस्ट नहीं है। यह मामला तब सुर्खियों में आ गया था, जब तेंडुलकर के इस मामले में डिफेंस मिनिस्टर मनोहर
भारत रत्न और पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंडुलकर ने मसूरी के एक बंगले में अवैध निर्माण के मामले में विवादों में आने के बाद अपनी सफाई दी है। उन्होंने कहा कि उस प्रॉपर्टी में उनका कोई इंटरेस्ट नहीं है। यह मामला तब सुर्खियों में आ गया था, जब तेंडुलकर के इस मामले में डिफेंस मिनिस्टर मनोहर पर्रिकर से मिलने की बात सामने आई थी। हालांकि, रक्षा मंत्री ने उन्हें किसी भी प्रकार की मदद का आश्वासन नहीं दिया है।
मीडिया में खबरेंं आने के बाद तेंडुलकर ने सफाई दी है कि उन्होंने रक्षा मंत्री के साथ एक मीटिंग में विवाद को देखने की गुजारिश जरूर की थी लेकिन, उनका प्रॉपर्टी में कोई इंटरेस्ट नहीं है। तेंडुलकर के स्पोक्सपर्सन ने एक स्टेटमेंटट जारी किया। इसमें दावा किया गया कि क्रिकेटर का लंढौर कैंटोनमेंट स्थित इस बंगले में कोई ‘इकोनॉमिक इंटरेस्ट’ नहीं है। उन्होंने कहा कि तेंदुलकर एक मीटिंग में शामिल हुए थे, जिसके बाद उनके दोस्त संजय नारंग द्वारा इस मसले पर डिफेंस मिनिस्ट्री में एक लिखित रिप्रेजेंटेशन जमा किया गया था।
क्या है मामला ? | सचिन तेंडुलकर के दोस्त और बिजनेस पार्टनर संजय नारंग का हिलस्टेशन मसूरी में एक बंगला है। इस बंगले को ढहलिया बैंक हाउस के नाम से जाना जाता है। सचिन हर साल यहां परिवार के संग छुट्टियां मनाने जाते हैं। 2013-14 में इस बंगले में एक बड़ा निर्माण कराकर यहां लोहे का गेट लगा दिया गया था। लेकिन, यह बंगला मसूरी के लंढौर कैंट एरिया में पड़ता है और इसके पास डीआरडीओ की एक लैब है। इसलिए इसके 50 मीटर की परिधि में किसी भी प्रकार के निर्माण पर रोक है। जब यह बात कैंट बोर्ड को पता चली तो उन्होंने नारंग का चालान कर दिया। इसके बावजूद जब निर्माण बंद नहीं हुआ तो कैंट ने बेदखली के आदेश भी जारी कर दिए थे।
बताया जाता है कि नारंग ने नवंबर 2012 में कैंट बोर्ड लंढौर से बंगले में टेनिस कोर्ट और अन्य निर्माण कराने के लिए एनओसी लेने की कोशिश की थी। लेकिन, कैंट बोर्ड के इनकार करने पर इस बिल्डिंग के एक हिस्से को जर्जर दिखाते हुए इसमें निर्माण की इजाजत मांगी गई। तत्कालीन बोर्ड अध्यक्ष और सीईओ ने मरम्मत की इजाजत दे दी। लेकिन करीब डेढ़ साल बाद पता चला तो देखा कि यहां एक बड़ा गेट लग चुका है और उसके अंदर काफी निर्माण भी हो चुका था।
दिसंबर 2014 में मामला नैनीताल हाईकोर्ट चला गया। बंगले के मालिक नारंग की ओर दायर याचिका पर हाईकोर्ट की डबल बेंच ने प्रकरण में स्टे लगा दिया। मौजूदा समय में भी कैंट बोर्ड (गढ़ी कैंट देहरादून और लंढौर कैंट मसूरी) के सीईओ सुब्रत पाल का कहना है कि न्यायालय के आदेश के बाद इस बंगले में कोई निर्माण नहीं किया गया है। फिलहाल यह स्थान कैंट बोर्ड की लगातार निगरानी में है। सुब्रत पाल का कहना है कि इस प्रकरण में कैंट बोर्ड ने ध्वस्तीकरण के आदेश भी दिए थे लेकिन कोर्ट का निर्णय आने के बाद से मामले में कोई प्रोग्रेस नहीं हुई।
मीडिया में आई खबरों के अनुसार पिछले साल तेंडुलकर ने रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से मुलाकात कर मामले में मदद की गुहार लगाई थी। बताया जा रहा है कि रक्षा मंत्री ने सचिन की बात सुनी, लेकिन किसी भी मदद का आश्वासन नहीं दिया था।
ढहलिया बैंक की खूबियां
-ढहलिया बैंक हाउस करीब 100 साल पुरानी पहाड़ी शैली में बना हुआ भवन है, जो करीब 1.672 एकड़ में बना हुआ है।
-चर्चाएं ये भी हैं कि इस बंगले के असल मालिक तेंडुलकर हैं, जिसे नारंग के नाम पर 2011 में खरीदा गया था।
-बंगले में स्विमिंग पूल, बिलियर्ड स्नूकर रूम, टेबिल टेनिस, टेनिस कोर्ट, बार रूम और 50 सीटों वाला थिएटर भी है।
-बंगले में कुल 6 बेडरूम हैं और इसकी छत पर पहाड़ी पठाल लगी हुई है।
-समुद्र तल से 7500 फीट उंचाई पर बने इस बंगले से प्राकृतिक सुंदरता को निहारा जा सकता है।
-यह हूबहू देहराइून स्थित उत्तराखंड के मुख्यमंत्री आवास जैसा दिखता है। सुरक्षा के लिए इसके चारों ओर पत्थरों से दीवार बनाई गई है।
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