आधार पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, जानिए आप पर कितना होगा असर

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आधार पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, जानिए आप पर कितना होगा असर

नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो) बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के महत्वपूर्ण आधार कार्यक्रम और इससे जुड़े 2016 के कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कुछ याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए आधार (AADHAAR) को संवैधानिक मान्यता दे दी। फैसला सुनाने वाले जस्टिस सीकरी ने कहा कि ‘आधार देश में आम आदमी की


आधार पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, जानिए आप पर कितना होगा असर

नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो) बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के महत्वपूर्ण आधार कार्यक्रम और इससे जुड़े 2016 के कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कुछ याचिकाओं पर  फैसला सुनाते हुए आधार (AADHAAR) को संवैधानिक मान्‍यता दे दी।

फैसला सुनाने वाले जस्टिस सीकरी ने कहा कि ‘आधार देश में आम आदमी की पहचान बन गया है’। आधार कार्ड और पहचान के बीच एक मौलिक अंतर है। बायोमैट्रिक जानकारी संग्रहीत होने के बाद यह सिस्टम में बनी हुई है। आधार से गरीबों को ताकत और पहचान मिली। आधार आम आदमी की पहचान बन चुका है। आधार कार्ड का डुप्‍लीकेट बनवाने का विकल्‍प नहीं। आधार कार्ड बिल्‍कुल सुरक्षित है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार से समाज के एक वर्ग को ताकत मिली। आधार पर हमला संविधान के खिलाफ है। बेहतर होने से अच्‍छा कुछ अलग होना है, आधार अलग है। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, डाटा प्रोटेक्‍शन पर केंद्र कड़ा कानून बनाए। आधार में डाटा की सुरक्षा की र्प्‍याप्‍त व्‍यवस्‍था है। डाटा सुरक्षा के लिए UIDAI ने पुख्‍ता इंतजाम किए हैं।

साथ ही SC ने अपने फैसले में कहा कि निजी कंपनियां आधार नहीं मांग सकतीं। न्‍यायालय ने यह भी कहा कि CBSE, NEET और UGC के लिए आधार जरूरी है, लेकिन स्‍कूलों में एडमिशन के लिए आधार जरूरी नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि आधार व्यापक पब्लिक इंटरस्ट को देखता है और समाज के हाशिये पर बैठे लोगों को इससे फायदा होगा। डेटा को 6 महीने से ज्यादा स्टोर नही करेंगे। 5 साल तक डेटा रखना बैड इन लॉ है।

बता दें कि सेवानिवृत जज पुत्तासामी समेत कई अन्य लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर आधार कानून की वैधानिकता को चुनौती दी थी। याचिकाओं में विशेषतौर पर आधार के लिए एकत्र किए जाने वाले बायोमेट्रिक डाटा से निजता के अधिकार का हनन होने की दलील दी गई थी। आधार की सुनवाई के दौरान ही कोर्ट मे निजता के अधिकार के मौलिक अधिकार होने का मुद्दा उठा था, जिसके बाद कोर्ट ने आधार की सुनवाई बीच में रोक कर निजता के मौलिक अधिकार पर संविधान पीठ ने सुनवाई की और निजता को मौलिक अधिकार घोषित किया था। इसके बाद पांच न्यायाधीशों ने आधार की वैधानिकता पर सुनवाई शुरु की थी। कुल साढ़े चार महीने में 38 दिनों तक आधार पर सुनवाई हुई थी।

याचिकाकर्ताओं का कहना थाकि एकत्र किये जा रहे डाटा की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। इसके अलावा बायोमेट्रिक पहचान एकत्र करके किसी भी व्यक्ति को वास्तविकता से 12 अंकों की संख्या में तब्दील किया जा रहा है। याचिकाकर्ताओं ने आधार कानून को मौलिक अधिकारों का हनन बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की है। ये भी आरोप लगाया था कि सरकार ने हर सुविधा और सर्विस से आधार को जोड़ दिया है जिसके कारण गरीब लोग आधार का डाटा मिलान न होने के कारण सुविधाओं का लाभ लेने से वंचित हो रहे हैं।

उन्होंने ये भी कहा था कि सरकार ने आधार बिल को मनी बिल के तौर पर पेश कर जल्दबाजी में पास करा लिया है। आधार को मनी बिल नहीं कहा जा सकता। अगर इस तरह किसी भी बिल को मनी बिल माना जाएगा तो फिर सरकार को जो भी बिल असुविधाजनक लगेगा उसे मनी बिल के रूप में पास करा लेगी।

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