कयामत तक पूरा नहीं होगा, पाकिस्तान का कश्मीर को पाने का ख्वाब: सुषमा

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कयामत तक पूरा नहीं होगा, पाकिस्तान का कश्मीर को पाने का ख्वाब: सुषमा

कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने की शरीफ के सपने को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने चकनाचूर कर दिया। सुषमा ने सख्त चेतावनी के साथ कहा कि नवाज शरीफ के कयामत तक ख्वाब पूरा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि जन्नत आतंक का अड्डा नहीं बनने देंगे। दरअसल कश्मीर पर बयान के लिए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ


कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने की शरीफ के सपने को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने चकनाचूर कर दिया। सुषमा ने सख्त चेतावनी के साथ कहा कि नवाज शरीफ के कयामत तक ख्वाब पूरा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि जन्नत आतंक का अड्डा नहीं बनने देंगे।

दरअसल कश्मीर पर बयान के लिए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पर जोरदार हमला करते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने शनिवार को उनसे कहा कि कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा बनाने का उनका सपना कायनात के खत्म होने पर भी साकार नहीं होगा।

शरीफ के ‘कश्मीर एक दिन पाकिस्तान का हिस्सा होगा’ संबंधी बयान पर नाराजगी प्रकट करते हुए स्वराज ने एक कहा कि यह ‘भ्रांतिमूलक लेकिन खतरनाक सपना’ पाकिस्तान के ‘आतंकवाद को निर्लज्जता से स्वीकार करने और प्रोत्साहन’ देने का कारण है।

उन्होंने कहा कि समूचा जम्मू-कश्मीर भारत का है। आप धरती के इस स्वर्ग को कभी भी आतंक का नरक बनाने में सक्षम नहीं होंगे। भारत की प्रतिक्रिया पाकिस्तान सरकार और शरीफ द्वारा रोजाना जारी किए जाने वाले भड़काऊ बयानों के बीच आई है।

पिछले कुछ दिनों में पाकिस्तान के नेतृत्व समेत इसके प्रधानमंत्री ने बुरहान वानी की प्रशंसा करते हुए उसे ‘शहीद’ बताया था। बुरहान वानी प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन का वांछित आतंकवादी कमांडर था। स्वराज ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि क्या वह नहीं जानते कि उसके सिर पर 10 लाख रुपये का इनाम था क्योंकि उसने स्थानीय निकायों के निर्वाचित प्रतिनिधियों और सुरक्षाकर्मी की हत्या समेत गंभीर अपराधों को अंजाम दिया था।

सुषमा ने कहा, ‘हिंसा को भड़काने और आतंकवादियों का महिमामंडन करने के सीमा पार से निंदनीय प्रयासों से भी अधिक निंदनीय यह तथ्य है कि ये प्रयास पाकिस्तान के सरकारी तंत्र द्वारा संयुक्त राष्ट्र द्वारा करार दिए गए आतंकवादी हाफिज सईद और अंतरराष्ट्रीय रूप से प्रतिबंधित संगठनों से जुड़े अन्य आतंकवादियों की सक्रिय भागीदारी से किए गए हैं’।

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