तीन तलाक बिल | मोदी सरकार ने अध्यादेश को दी मंजूरी, जानें कानून की सभी बड़ी बातें

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तीन तलाक बिल | मोदी सरकार ने अध्यादेश को दी मंजूरी, जानें कानून की सभी बड़ी बातें

नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो) बुधवार को केंद्र सरकार ने संसद में लटके तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने वाले बिल को कानूनी रूप देने के लिए अध्यादेश को मंजूरी दे दी। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने तीन तलाक बिल के अहम पहलुओं की जानकारी देते हुए बताया कि इस बिल से मुस्लिम महिलाओं को


नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो) बुधवार को केंद्र सरकार ने संसद में लटके तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने वाले बिल को कानूनी रूप देने के लिए अध्यादेश को मंजूरी दे दी। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने तीन तलाक बिल के अहम पहलुओं की जानकारी देते हुए बताया कि इस बिल से मुस्लिम महिलाओं को इंसाफ मिलेगा।

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि यह अपराध संज्ञेय जिसमें पुलिस सीधे गिरफ्तारी तभी करेगी जब महिला खुद शिकायत करेगी। इसके साथ ही खून या शादी के रिश्ते वाले सदस्यों के पास भी केस दर्ज करने का अधिकार रहेगा। पड़ोसी या कोई अनजान शख्स इस मामले में केस दर्ज नहीं कर सकता है।

  • समझौते कि लिए शर्त | केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह बिल महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए है। कानून में समझौते के विकल्प को भी रखा गया है। पत्नी की पहल पर ही समझौता हो सकता है, लेकिन मैजिस्ट्रेट के द्वारा उचित शर्तों के साथ।
  • बेल के लिए शर्त | कानून के तहत मैजिस्ट्रेट इसमें जमानत दे सकता है, लेकिन पत्नी का पक्ष सुनने के बाद। केंद्रीय मंत्री ने कहा, यह पति-पत्नी के बीच का निजी मामला है। पत्नी ने गुहार लगाई है, इसलिए उसका पक्ष सुना जाना जरूरी होगा।

  • गुजारे के लिए प्रावधान | तीन तलाक पर कानून में छोटे बच्चों की कस्टडी मां को दिए जाने का प्रावधान है। पत्नी और बच्चे के भरण-पोषण का अधिकार मैजिस्ट्रेट तय करेंगे, जिसे पति को देना होगा।

बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट  की संवैधानिक बेंच ने तीन तलाक बिल को निरस्त किया था। दो जजों ने इसे असंवैधानिक कहा था, एक जज ने पाप बताया था। इसके बाद दो जजों ने इस पर संसद को कानून बनाने को कहा था। संसद में यह बिल लोकसभा से तो पास हुआ, लेकिन राज्यसभा में अटक गया। इसके बाद इसे कानूनी जामा पहनाने के लिए सरकार ने अध्यादेश का रास्ता चुना है। हालांकि 6 महीने के अंदर इस पर संसद की मुहर लगनी जरूरी है। सरकार के लिए यह फिर बड़ी चुनौती होगी।

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