उत्तराखंड | 2022 तक 5000 आंगनवाड़ी केन्द्र होगें तैयार : मुख्य सचिव

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उत्तराखंड | 2022 तक 5000 आंगनवाड़ी केन्द्र होगें तैयार : मुख्य सचिव

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह की अध्यक्षता में बुधवार को सचिवालय में महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की समीक्षा बैठक सम्पन्न हुयी। बैठक में मुख्य सचिव ने कहा कि महिलाओं और बच्चों का सम्पूर्ण विकास राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में है। उन्होंने कहा कि आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण, कुपोषित बच्चों के


देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह की अध्यक्षता में बुधवार को सचिवालय में महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की समीक्षा बैठक सम्पन्न हुयी। बैठक में मुख्य सचिव ने कहा कि महिलाओं और बच्चों का सम्पूर्ण विकास राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में है।

उन्होंने कहा कि आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण, कुपोषित बच्चों के कुपोषण से मुक्ति हेतु किये जा रहे कार्य एवं आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों के रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया को मिशन मोड में सम्पन्न किया जाए।मुख्य सचिव ने कहा कि विभाग के अन्तर्गत संचालित केन्द्रपोषित योजनाओं में से आई0सी0डी0एस0 सर्विसेज के अन्तर्गत वेतन तथ मानदेय के प्रतिमाह भुगतान की व्यवस्था शीघ्र सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि आंगनवाड़ी भवन निर्माण योजना के अन्तर्गत वर्ष 2022 तक 5000 आंगनवाड़ी केन्द्र तैयार किये जाने हैं।

आंगनवाड़ी केन्द्रों के निर्माण को प्राथमिकता में लेते हुए वर्षवार प्लान तैयार कर योजना को पूर्ण किया जाए। भवनों को भूकम्परोधी तथा आपदा प्रबन्धन के अन्तर्गत निर्मित किए जाएं। आंगनबाड़ी भवनों के निर्माण हेतु बाम्बू हाउस के विकल्प का भी अध्ययन कर लिया जाय।मुख्य सचिव ने कहा कि कुपोषित एवं अतिकुपोषित बच्चों की लगातार ट्रेकिंग की जाए। प्रदेश के ऐसे जनपदों का चयन किया जाय, जिनमें सबसे अधिक बच्चे कुपोषण से मुक्त हुए हैं। इन जनपदों में कुपोषण मुक्ति के लिए किये गये प्रयासों का अध्यययन व विश्लेषण कर अन्य जिलों के लिए भी योजना बनाई जाय।

उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों द्वारा कुपोषण से मुक्ति के लिए की गयी सराहनीय पहलों का अध्ययन कर प्रदेश हेतु योजनाएं तैयार की जाएं। जिन राज्यों में एनिमिया से ग्रसित महिलाओं में कमी आयी है, उन राज्यों की पॉलिसी का अध्ययन कर प्रदेश के लिए भी एक पॉलिसी तैयार की जा सकती है।सचिव अमित नेगी ने महिला एवं बाल विकास विभाग को कामकाजी महिलाओं के बच्चों के लिए शिशु गृह स्थापित करने एवं बच्चों की पूर्ण सुरक्षा हेतु व्यवस्था करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि आंगनवाड़ी केन्द्रों में पंजीकृत बच्चों के सापेक्ष कम उपस्थिति के कारणों का अध्ययन कर बच्चों की उपस्थिति को बढ़ाने के प्रयास किये जाएं।इस अवसर पर निदेशक महिला एवं बाल विकास विभाग झरना कमठान एवं उप निदेशक सुजाता भी उपस्थित थीं।

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